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________________ श्रमण अड्डालिजीय गच्छ जैन परम्परा के श्वेताम्बर सम्प्रदाय में विभिन्न स्थानों के नाम से उद्भूत अल्पजीवी गच्छों में अड्डालिजीय गच्छ भी एक है । अडालज नामक स्थान से सम्बद्ध होने के कारण इस गच्छ का उक्त नामकरण हुआ होगा। अहमदाबाद के निकट 'अडालज' नामक स्थान है जो शायद यही हो सकता है। इस गच्छ से सम्बद्ध साक्ष्यों में मात्र चार अभिलेख ही प्राप्त होते हैं जो बढ़वाण स्थित एक जिनालय में परिकर एवं एक जिनप्रतिमा पर उत्कीर्ण हैं। मुनि विजयधर्म सूरि ने इनकी वाचना दी है, जो निम्नानुसार है:१. सं० ११३६ फाल्गुन वदि ४ श्री अड्डालिजीयगच्छे श्रीजीवदेवाचार्यसंताने कुंभानाजप्रतिबद्धसोढसुताशांतिना स्वस्वश्रेयोर्थं (स्वस्वश्रेयो ऽर्थ) श्रीशांतिनाथप्रतिमा कारापिता । परिकर के नीचे का लेख बड़ा जैन मंदिर, बढवाण २. सं० १२०७ चैत्र वदि ५ स ( 1 ) नौ श्रीअड्डालिजीयगच्छे श्री देवाचार्यसंताने श्रे० शांति दुहिता नामी सांपी स्वश्रेयोर्थं (स्वश्रेयो ऽर्थं ) श्री अजितनाथ - जिनयुगलं कारापितं | मंगलं महाश्री || अजितनाथ कीयुगल प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख बड़ा जैन मंदिर, बढवाण - शिवप्रसाद * Jain Education International ३. संवत् १२२८ फाल्गुन वदि ५ भो (भौ ) मे श्रीअड्डालिज्जगच्छे श्रीमोढवंशे श्रे० धांधू भार्या । चडवश्राविकया आत्मश्रेयोर्थं (आत्मश्रेयो ऽर्थं) श्री श्रेयांसप्रतिमा कारिता ।। परिकर के नीचे का लेख बड़ा जैन मंदिर, बढवाण ४. संवत् १२७३ वर्षे कार्तिक वदि ५ सोमे श्रीमोढ.. प्रवक्ता, पार्श्वनाथ विद्यापीठ । For Private & Personal Use Only . श्रीअड्डालिज्जगच्छीय श्रे० www.jainelibrary.org
SR No.525032
Book TitleSramana 1997 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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