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________________ 44 : श्रमण/अक्टूबर-दिसम्बर/१६६७ (८) (६) जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग-१, पा०वि० ग्र०मा०सं० ६ पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, द्वि०सं० १९८६, पृ० ३४. संग्रा० एच० डी० वेलणकर जिनरत्नकोश खण्ड एक, गवर्नमेण्ट ओरिएण्टल सिरीज, भाण्डारकर ओरिएण्टल रिसर्च इंस्टीच्यूट, पूना; १६४४, पृ० १७२. प्रो० एच०आर० कापडिया, हिस्ट्री आव द ननिकल लिटरेचर आव द जैनाज़, लेखक, सूरत १६४१, पृ० १८२. (६) कापडिया, गवर्नमेण्ट कलेक्शन, ओरिएण्टल, पूना १६३६, पृ० ६७. (१०) बृहद् इतिहास, पार्श्वनाथ, वाराणसी १६८६, पृ० ३५. (११) कापडिया, कैननिकल, सूरत १६४१, पृ० १८२. (१२) सं० अमरमुनि, निशीथसूत्रभाष्य-चूर्णि, दिल्ली-राजगृह, पृ० १३७. (१३) सं० प्रो० एच०डी० वेलणकर, 'छन्दोऽनुशासन' (हेमचन्द्र) भारतीय विद्याभवन, बम्बई १६६१, पृ० १२८, (१४) “दशवैकालिकनियुक्ति” 'नियुक्तिसंग्रह' लाखाबावल १६८८, पृ० ३२८ एवं ३६१. (१५) प्रो० कापडिया, कैननिकल, सूरत १६४१, पृ० १८५. (१६) एल० अल्सडोर्फ, “निक्षेप-ए जैन कान्ट्रीब्यूशन टू स्कालस्टिक" (१७) कापडिया, कैननिकल १६४१, पृ० २१०. (१८) वही, पृ० २११. (१६) जे० शार्पेण्टियर, उत्तराध्ययन सूत्र, उपशाला १६२२, भूमिका पृ०५०, (२०) जर्नल आव द ओरिएण्टल इंस्टीच्यूट, ओरिएण्टल इंस्टीच्यूट, बड़ौदा, खण्ड २२, अङ्क ४, जून १६७३, पृ० ४५५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525032
Book TitleSramana 1997 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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