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________________ जैन आगमों की मूल भाषा : अर्धमागधी या शौरसेनी : 19 बुद्ध वचनों की मूल भाषा मागधी थी, न कि शौरसेनीः शौरसेनी को मूलभाषा एवं मागधी से प्राचीन सिद्ध करने हेतु आदरणीय प्रो० नथमल जी टाटिया के नाम से यह भी प्रचारित किया जा रहा है। कि "शौरसेनी पालि भाषा की जननी है-यह मेरा स्पष्ट चिन्तन है। पहले बौद्धों के ग्रन्थ शौरसेनी में थे, उनको जला दिया गया और पालि में लिखा गया" । प्राकृत-विद्या, जुलाई-सितम्बर ६६, पृ० १०. टॉटिया जी जैसा बौद्ध विद्या का प्रकाण्ड विद्वान् ऐसी कपोल कल्पित बात कैसे कह सकता है? यह विचारणीय है। क्या ऐसा कोई भी अभिलेखीय या साहित्यिक प्रमाण उपलब्ध है, जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है, कि मूल बुद्धवचन शौरसेनी में थे। यदि हो तो आदरणीय टॉटिया जी या भाई सुदीप जी उसे प्रस्तुत करें, अन्यथा ऐसी आधारहीन बातें करना विद्वानों के लिये शोभनीय नहीं है। यह बात तो बौद्ध विद्वान् स्वीकार करते हैं कि मूल बुद्धवचन 'मागधी' में थे और कालान्तर में उनकी भाषा को संस्कारित करके पालि में लिखा गया। यहाँ यह भी ज्ञातव्य है कि जिस प्रकार मागधी और अर्धमागधी में किंचित अन्तर है, उसी प्रकार ‘मागधी' और 'पालि' में भी किंचित अन्तर है, वस्तुतः पालि भगवान् बुद्ध की मूलभाषा ‘मागधी' का एक संस्कारित रूप ही है। यही कारण है कि कुछ विद्वान् पालि को मागधी का ही एक प्रकार मानते हैं, दोनों में बहुत अधिक अन्तर नहीं है। पालि, संस्कृत और मागधी की मध्यवर्ती भाषा है या मागधी का ही साहित्यिक रूप है। यह तो प्रमाण सिद्ध है कि भगवान् बुद्ध ने मागधी में ही अपने उपदेश दिये थे-क्योंकि उनकी जन्मस्थली और कार्यस्थली दोनों मगध और उसका निकटवर्ती प्रदेश ही था। बौद्ध विद्वानों का स्पष्ट मन्तव्य है कि मागधी ही मूल भाषा है। इस सम्बन्ध में बुद्धघोष का निम्न कथन सबसे बड़ा प्रमाण है सा मागधी मूल भासा नरायाय आदिकप्पिका। ब्रह्मणो च अस्सुतालापा संबुद्धा चापि भासरे। अर्थात् मागधी ही मूलभाषा है, जो सृष्टि के प्रारम्भ में उत्पन्न हुई और न केवल ब्रह्मा (देवता) अपितु बालक और बुद्ध भी इसी भाषा में बोलते हैं- (See-The preface to the Childer's Pali Dictionary). इससे यही फलित होता है मूल बुद्धवचन मागधी में थे। पालि उसी मागधी का संस्कारित साहित्यिक रूप है, जिसमें कालान्तर में बुद्धवचन लिखे गये। वस्तुतः पालि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525032
Book TitleSramana 1997 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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