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जैन आगमों की मूल भाषा : अर्धमागधी या शौरसेनी : 17
महाप्रभाव से शूरसेन जनपद में जन्मी शौरसेनी प्राकृत भाषा को सम्पूर्ण आर्यावृत में प्रसारित होने का सुअवसर मिला था।” (प्राकृतविद्या-जुलाई-सितम्बर ६६, पृ०. ६)
यदि हम एक बार उनके इस कथन को मान भी लें, तो प्रश्न उठता हैं अरिष्टनेमि के पूर्व नमि मिथिला में जन्मे थे, वासुपूज्य चम्पा में जन्मे थे, सुपार्श्व, चन्द्रप्रभ और श्रेयांस काशी जनपद में जन्मे थे, यही नहीं प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव और मर्यादा पुरुषोत्तम राम आयोध्या में जन्मे थे। ये सभी क्षेत्र तो मगध के ही निकटवर्ती हैं, अतः इनकी मातृभाषा तो अर्थमागधी रही होगी। भाई सुदीप जी के अनुसार यदि शौरसेनी अरिष्टनेमि जितनी प्राचीन है, तो फिर अर्धमागधी तो ऋषभ जितनी प्राचीन सिद्ध होती है, अतः शौरसेनी से अर्धमागधी प्राचीन ही है।
यदि शौरसेनी प्राचीन होती तो सभी प्राचीन अभिलेख और प्राचीन आगमिक ग्रन्थ शौरसेनी में मिलते- किन्तु ईसा की चौथी, पाँचवीं शती से पूर्व का कोई भी जैन ग्रन्थ और अभिलेख शौरसेनी में उपलब्ध क्यों नहीं होता है? पुनः नाटकों में भी भास के समय से अर्थात् ईसा की दूसरी शती से ही शौरसेनी के प्रयोग (वाक्यांश) उपलब्ध होते हैं। " नाटकों में शौरसेनी प्राकृत की उपलब्धता के आधार पर उसकी प्राचीनता का गुणगान किया जाता है, मैं विनम्रता पूर्वक पूछना चाहूँगा कि क्या इन उपलब्ध नाटकों में कोई भी नाटक ईसा की दूसरी-तीसरी शती से पूर्व का है? फिर उन्हें शौरसेनी की प्राचीनता का आधार कैसे माना जा सकता है। मात्र नाटक ही नहीं, वे शौरसेनी प्राकृत का एक भी ऐसा ग्रन्थ या अभिलेख दिखा दें, जो अर्धमागधी आगमों और मागधी प्रधान अशोक, खारवेल, आदि के अभिलेखों से प्राचीन हो। अर्धमागधी के अतिरिक्त जिस महाराष्ट्री प्राकृत को वे शौरसेनी से परवर्ती बता रहे हैं, उसमें सातवाहन नरेश हाल की गाथा सप्तशती लगभग प्रथम शती में रचित है और शौरसेनी के किसी भी ग्रन्थ से प्राचीन है।
पुनः मैं डॉ० सुदीप के निम्न कथन की ओर पाठकों का ध्यान दिलाना चाहूँगा, वे प्राकृत-विद्या जुलाई-सितम्बर ६६ में लिखते हैं कि दिगम्बरों के ग्रन्थ उस शौरसेनी प्राकृत में हैं, जिसमें 'मागधी' आदि प्राकृतों का जन्म हुआ, इस सम्बन्ध में मेरा उनसे निवेदन है कि मागधी के सम्बन्ध में 'प्रकृतिः शौरसेनी' (प्राकृतप्रकाश ११/२) इस कथन की वे जो व्याख्या कर रहे हैं वह भ्रान्त है और वे स्वयं भी शौरसेनी के सम्बन्ध में
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