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________________ जैन जगत् : 99 शाख शुक्ला चतुर्दशी (५, मई १६७४, रविवार) के दिन सरदार शहर की पुण्य भूमि पर मुनि श्री सुमेरमल जी (लाडनूं) के सान्निध्य में आपकी मुनि दीक्षा हुई। मुनि सुमेरमल जी के निर्देशन में वर्षों तक स्वाध्याय करने के पश्चात् वि०सं० २०४१ ज्येष्ठ कृष्णा अष्टमी को आप पंचमी समिति के पात्रसंवाहक के लिए व्यक्तिगत सेवा हेतु नियुक्त किये गये । तेरापंथ धर्मसंघ में इस नियुक्ति का विशेष महत्त्व है। समय के साथ-साथ आप हिन्दी, संस्कृत और प्राकृत भाषाओं को भी अधिकृत करते गये। जैसे-जैसे आपकी अर्हताएँ एवं क्षमताएँ बढ़ती गयीं संघीय दायित्व भी आपसे जुड़ते गए । वि० सं० २०४२ माघ शुक्ला सप्तमी ( १६ फरवरी १६८६) उदयपुर, मर्यादा महोत्सव के पावन अवसर पर आप युवाचार्य महाप्रज्ञ के अंतरंग सहयोगी बनाये गये जिसका दायित्व आपने पूर्णतः वहन किया। वि०सं० २०४३ वैशाख शुक्ला चतुर्थी ( १४ मई १८८६ ) को अक्षय तृतीया के सुअवसर पर व्यावर में आप ग्रुप लीडर बनाये गये तथा वि०सं० २०४६ भाद्र शुक्ला नवमी (६ सितम्बर १९८६) को लाडनू में योगक्षेम वर्ष में आचार्य श्री तुलसी के पदारोहण दिवस पर मंगल गीतों और मंगल स्तवना के बीच आप महाश्रमण के पद पर प्रतिष्ठित किये गये। वरीयताक्रम में महाश्रमण का पद आचार्य और युवाचार्य के बाद तीसरे स्थान पर आता है। महाश्रमण के रूप में आपने तीन स्वतंत्र और महत्त्वपूर्ण यात्रायें कीं- प्रथम यात्रा फरवरी-मार्च १९८६ में लाडनू से डूंगर गढ़, सरदार शहर होते हुए छोटी खाटू तक, द्वितीय यात्रा नवम्बर-दिसम्बर में सिंवाची - मलानी क्षेत्र में हुई, तीसरी यात्रा २५ नवम्बर से ४ जनवरी ६५ तक दिल्ली के उपनगरों में हुई । समय तीव्र गति से बढ़ता गया और महाश्रमण मुदित कुमार लघुता से प्रभुता और बिन्दु से सिन्धु बनने की निर्विघ्न यात्रा पर अग्रसर होते हुए १४ सितम्बर १६६७ (वि०सं० २०५४ भाद्र शुक्ला द्वादशी ) को युवाचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुए । महाश्रमण मुदित कुमार के युवाचार्य पद पर प्रतिष्ठित होने पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार की ओर से उन्हें हार्दिक बधाई । भव्य अनुमोदना - बहुमान समारोह अंचलगच्छाधिपति आचार्य श्री गुणसागर सूरीश्वर जी म० के शिष्य गणिवर श्री महोदय सागर जी म० की प्रेरणा से श्री कस्तूर प्रकाशन ट्रस्ट (मुम्बई) और श्री गुणीजन भक्ति ट्रस्ट ( अहमदाबाद) के संयुक्त तत्त्वावधान में भाद्रपद सुदि १५ को श्री शंखेश्वर महातीर्थ में एक भव्य अनुमोदना - बहुमान समारोह का आयोजन किया गया । इस समारोह में जैनेतर कुल में उत्पन्न किन्तु जिनशासन के विशिष्ट आराधक ८५ व्यक्तियों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525032
Book TitleSramana 1997 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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