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________________ श्रमण/जुलाई-सितम्बर/१९९७ : ११० विद्यापीठ के चार शोधार्थियों को पी- एच. डी. की उपाधि : पार्श्वनाथ विद्यापीठ के लिये यह अत्यन्त हर्ष का विषय है कि यहाँ के चार शोधार्थियों को विगत दिनों उनके शोध-प्रबन्धों पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी द्वारा पी-एच०डी० की उपाधि प्रदान की गयी । शोधार्थी शोध प्रबन्ध-शिर्षक निर्देशक सह निर्देशक १. श्री असीम कुमार मिश्र “ऐतिहासिक अध्ययन प्रो० सागरमल जैन डॉ० हरिहर सिंह, प्रवक्ता के जैन स्त्रोत एवं प्राचीन भारतीय इतिहास, उनकी प्रामाणिकता: एक संस्कृति और पुरातत्त्व अध्ययन" विभाग, का० हि० वि० वि० २. श्रीमती शीला सिंह "द्रौपदी कथानक का डॉ० अशोक कुमार सिंह । डॉ० रामायण प्रसाद जैन और हिन्दू स्रोतों द्विवेदी, रोडर, संस्कृत के आधार पर तुलनात्मक विभाग, का० हि०वि० अध्ययन" वि० ३. कु० रंजना कालविण्ट “वाल्मीकी रामायण तथा डॉ० अशोक कुमार सिंह डॉ० रामायण प्रसाद पउमचरियं (जैनरामकथा) द्विवेदी का तुलनात्मक अध्ययन" ४. श्रीमती रत्ना गिरि "भारतीय संस्कृति में डॉ० अशोक कुमार सिंह प्रो० जयशंकर लाल व्रात्य की अवधारणा" त्रिपाठी, संस्कृत विभाग, का० हि० वि० वि० विद्यापीठ परिवार उक्त शोधार्थियों को हार्दिक बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है । - उल्लेखनीय है कि अबतक पार्श्वनाथ विद्यापीठ से विभिन्न विषयों में कुल ५३ . शोध-छात्र पी-एच०डी० की उपाधि प्राप्त कर चुके है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,
SR No.525031
Book TitleSramana 1997 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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