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________________ आचार्य हेमचन्द्र : एक युगपुरुष समग्रतः शब्दों की सीमा में बाँध पाना सम्भव नहीं है। मात्र यही नहीं, उस युग में रहकर उन्होंने जो कुछ सोचा और कहा था वह आज भी प्रासंगिक है। का हम उनके महान् व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर हिंसा, वैमनस्य और संघर्ष की वर्तमान त्रासदी से भारत को बचा सकें । ७० सन्दर्भ १. हेमचन्द्राचार्य (पं० बेचरदास जीवराज दोशी), पृ० १२३. २. आचार्य हेमचन्द्र (वि० भा० मुसलगांवकर), पृ० १९९. ३. देखें : महादेवस्तोत्र ( आत्मानन्द सभा, भावनगर), पृ० १-१६, पृ० ४४. महादेवस्तोत्र, पृ० ४४. ४. ५. योगशास्त्र, २ / ९. ६. वही, २ / १०. ७. वही, २/१३. ८. वही, १/४०. ९. हेमचन्द्राचार्य, पृ० ५३-५६. १०. देखें : महावीरचरित्र ( हेमचन्द्र ), ६५-७५ ( कुमारपाल के सम्बन्ध में महावीर की भविष्यवाणी ). ११. योगशास्त्र, २/८४-८५. १२. हेमचन्द्राचार्य, पृ० ७७. १३. वही, पृ० १०१-१०४. १४. योगशास्त्र, १/४७-५६. १५. देखें : आचार्य हेमचन्द्र ( वि० भा० मुसलगांवकर), अध्याय ७. १६. हेमचन्द्राचार्य, पृ० १३ - १७८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525030
Book TitleSramana 1997 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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