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________________ Jain Education International १ २ १४१. १५३६ ३ वैशाख वदि ३ गुरुवार ४ शालिप्रभसूरि ९४ : जैन मंदिर, डभोई मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-१, लेखाङ्क ३० १४२. १५३७ अमरचन्द्रसूरि माघ सुदि २ सोमवार वीर जिनालय, सांगानेर विनयसागर, पूर्वोक्त-लेखाङ्क ८१३ For Private & Personal Use Only श्रमण/जनवरी-मार्च/१९९७ १४३. १५४२ पद्माणंदसूरि कार्तिकवदि २ बुधवार ५ आदिनाथ की धातु की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख नमिनाथ की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख संभवनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख पार्श्वनाथ की प्रतिमा का लेख धर्मनाथ की धातु की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख तीर्थंकर की धात् प्रतिमा का लेख संभवनाथ देरासर, झवेरीवाड़, बुद्धिसागर,पूर्वोक्त-भाग-१, लेखाङ्क ८५६ १४४. १५४५ पौष....५ पौष.५ " शत्रुञ्जयवैभव, लेखाङ्क २३४ ब विशालविजय, पूर्वोक्त - लेखाङ्क ३०५ १४५. १५४६ मार्गशिर सुदि ६ गुणसागरसूरि शुक्रवार बालावसही, शत्रुजय । नेमिनाथ जिना०, गेलासेठ की शेरी, राधनपुर अजितनाथ जिना० शेखनो पाडो, अहमदाबाद www.jainelibrary.org १४६. १५४७ माघ सुदि १२ श्रीसूरि बुद्धिसागर,पूर्वोक्त-भाग-१, लेखाङ्क १००६
SR No.525029
Book TitleSramana 1997 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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