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________________ २ : श्रमण/जनवरी-मार्च/१९९७ बलाघात, बलात्मक, स्वराघात, प्रयत्न आदि शब्द प्राप्त होते हैं। अंग्रेजी में भी तनाव के लिए प्रेशर (Pressure), इफेक्ट (Effect), हार्डशिप (Hardship), डिस्ट्रेस (Distress), टेन्शन (Tension), मेकेनिक्स (Mechanics), इम्फेशिस (Emphasis), इम्पोरटेंस (Importance), फोनेटिक्स (Phonetics), इम्पेलिंग फोर्स (Impelling force) वेट इर्कोट (Weight effort) आदि मिलते हैं। तनाव का पारिभाषिक अर्थ पी०डी० पाठक के अनुसार- तनाव व्यक्ति की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दशा है। यह उसमें उत्तेजना और असंतुलन उत्पन्न कर देता है एवं उसे परिस्थिति का सामना करने के लिए क्रियाशील बनाता है। एडवार्ड ए० चार्ल्सवर्थ तथा रोनाल्ड जी० नाथन (Edward A.Charles worth and Ronald G. Nathan) के अनुसार-तनाव के बहुत से अर्थ होते हैं। किन्तु अधिकतर लोग तनाव को जीवन की मांगों (Demands of life) के रूप में समझते हैं। पारिभाषिक रूप में इन मांगों को तनाव-उत्पादक (Stressors) कहते हैं। तनाव की परिभाषा गेट्स व अन्य के अनुसार- "तनाव, असंतुलन की दशा है, जो प्राणी को अपनी उत्तेजित दशा का अन्त करने हेतु कोई कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।'' ड्रेवर के मतानुसार--- "तनाव का अर्थ है- संतुलन के नष्ट होने की सामान्य भावना और परिस्थिति के किसी अत्यधिक संकटपूर्ण कारक का सामना करने के लिए व्यवहार में परिवर्तन करने की तत्परता।''५ नार्मन टैलेण्ट के शब्दों में- “प्रतिबल (Stress) से ऐसे दबाव का बोध होता है जिससे व्यक्तित्व के पर्याप्त रूप से कार्य करते रहने की योग्यता एक प्रकार से संकटग्रस्त हो जाती है।"६ रोजन एवं ग्रेगरी के अनुसार- "प्रतिबल (Stress) से, विस्तृत रूप से ऐसी बाह्य तथा आन्तरिक अनिष्टकारी व वंचनकारी स्थितियों का बोध होता है, जिनके प्रति व्यक्ति द्वारा समायोजन कर पाना अत्यधिक कष्टकर होता है।" युवाचार्य महाप्रज्ञ के मतानुसार- "जब किसी भी पदार्थ पर पड़ने वाले दाब से पदार्थ के आकार में परिवर्तन हो जाता है तो उसे तनाव या टान कहा जाता है।"८ इस प्रकार उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि तनाव व्यक्ति के सामान्य सुख, चैन पूर्ण जीवन में पैदा होने वाली गड़बड़ या बेचैनी है। कोई भी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525029
Book TitleSramana 1997 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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