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________________ योगनिधान : २५ वणनारियली मूलं गोजल पिट्ठम्मि अवह तक्केहिं । णासे पाणे दिण्णं रत्तं पयरं पणासेइ ।।५।। दिढेरत्तविरे ये णियमणि खेडं ण किंपि कायव्वं । वलहाणि रक्खणत्थं करं वयं भोयणं देह ।।६।। पालासियाण कंदं पाटा रोहेउयम्मि कटिऊणं । पीयंतह तीयदिणे पयरपवाहं पणासेइ ।।७।। दुद्धरुहाएमूलं गुडधियकणकाण लप्पसी कुणह । अवहरइरत्तपयरं खज्जतो सत्तरत्तेहिं ।।८।। पियसिंदूरीमूलं पीसिवि पुव्योत्तलप्पसी कुणह । सा असिया सत्तिहिं पंडुर पयरं पणासेइ ।।९।। तिणि दिणा रिउकाले जं घिघसय णायकेसरं पीयं । णारी लहेइ पुत्तं खीर सहा भोयणो भुत्तो ।।१०।। मोर सिहाणयमूलं खीरे पीएण गम्भु तिय लहइ । वडुवा अह ऊंग जडा जोणि धरिय लहु पसवए वाला।।११।। अपमग्ग जडासारीउ उप्पाडिय जइ विउप्पडइ । तिय नामे ता पुरिसो अहतुट्टइ ठीकरी होइ ।।१२।। पुणुणवजड जड्डारियतेले भिंगेवि जोणिमुह धरए । तक्खणि गम्भं पाडइ जीवो मुक्को अमुक्को वा ।।१३।। सोलसिएपत्तरसं पुराणगुड तहिय माणेण । णारी पसवण काले जोणी पीडा णिवरेइ ।।१४।। गिरिकणियाइ मूलं कडिवढे गम्भु न पडइ । पाढा अह अपमग्गे मूलं जोणि धरि सुक्ख पसवेइ ।।१५।। अहिकंचू पुडद8 चुण्णं करिऊण मक्खिएप्प । सहतेणय अंजिय चक्खू सिंघेणय पसवए णारी ।।१६।। सुखखीर सिरे दिण्णं हत्थे वद्धव भूलं सरपुंखा । णह सल्लोवि पयासइ दइया सुक्खेण पसवेइ ।।१७।। गम्भु झरइ जा गुव्विणि गम्भं धारेइ साणियमा । पारेवयापुरीसं तंदुल तो एण पायव्वं ।।१८।। पिप्पलिगुड मयणहला दंती जवखार तुंबि बीजाई। सुखखीरेकय वत्ती जोणि धरि एसु पुफ्फयं होइ।।१९।। अपमग्गमूल पिट्ठा जोणि भिंतरे सु पेसियं तेण । होइ पसूई णारी पीडा सव्वं णिवारेइ ।।२०।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525029
Book TitleSramana 1997 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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