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/ जुलाई-सितम्बर/ १९९६
श्रमण/
जीरापल्लीगच्छ का उल्लेख करने वाला सर्वप्रथम लेख इस गच्छ के आदिम आचार्य रामचन्द्रसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित आदिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण है। वर्तमान में यह प्रतिमा शीतलनाथ जिनालय, उदयपुर में संरक्षित है। श्री पूरनचन्द नाहर ने इसकी वाचना दी है, जो इस प्रकार है :
सं. १४०६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ९ रवौ सा..... कारितं प्रतिष्ठितं जीरापल्लीयैः श्रीरामचन्द्रसूरिभिः । ।
कुटुम्ब श्रेयोर्थं श्री आदिनाथ बिम्बं
जैनलेखसंग्रह, भाग - २,
लेखांक १०४९
इस गच्छ का उल्लेख करने वाला द्वितीय लेख वि. सं. १४११ का है जो जीरावला स्थित जिनालय में पार्श्वनाथ की देवकुलिका पर उत्कीर्ण है। मुनि जयन्तविजय ने इसकी वाचना दी है, जो निम्नानुसार है।
:
सं. १४११ वर्षे चैत्र वादि ६ बुधे अनुराधा नक्षत्रे बृहद्गच्छीय श्रीदेवचन्द्रसूरीणां पट्टे श्रीजिनचन्द्रसूरीणां तपोवन तपोधन तपस्वीकरपरिवृतानां श्रीपार्श्वनाथस्य देवकुलिका जीरापल्लीयैः श्रीरामचन्द्रसूरिभिः कारिता छः ।।
अर्बुदाचलप्रदक्षिणाजैनलेखसंदोह, लेखांक ११९
इस गच्छ से सम्बद्ध अन्य लेखों का विवरण इस प्रकार है:
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क्रमश
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