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________________ श्रमण जीरापल्लीगच्छ का इतिहास डॉ. शिवप्रसाद निर्ग्रन्थ परम्परा के श्वेताम्बर आम्नाय के अन्तर्गत चन्द्रकुल से उद्भूत गच्छों में बृहद्गच्छ या वडगच्छ का महत्त्वपूर्ण स्थान है। पूर्णिमागच्छ, आगमिकगच्छ, अंचलगच्छ, पिप्पलगच्छ आदि बृहद्गच्छ से ही अस्तित्त्व में आये हैं। बृहद्गच्छगुर्वावली' [रचनाकाल विक्रम सम्वत् की १६वीं शताब्दी] के अनुसार बृहद्गच्छ से उद्भूत पच्चीस शाखा गच्छों मे जीरापल्लीगच्छ भी एक है। ___ जैसा कि इसके अभिधान से स्पष्ट होता है जीरापल्ली' [राजस्थान प्रान्त के सिरोही जिले में आबू के निकट अवस्थित जीरावला ग्राम) नामक स्थान से यह गच्छ अस्तित्त्व में आया प्रतीत होता है। बृहद्गच्छीय देवचन्द्रसूरि के प्रशिष्य और जिनचन्द्रसूरि के शिष्य रामचन्द्रसूरि इस गच्छ के प्रवर्तक माने जा सकते हैं। इस गच्छ में वीरसिंहसूरि, वीरचन्द्रसूरि, शालिभद्रसूरि, वीरभद्रसूरि, उदयरत्नसूरि, उदयचन्द्रसूरि, रामकलशसूरि, देवसुन्दरसूरि, सागरचन्द्रसूरि आदि कई मुनिजन हो चुके हैं। इस गच्छ से सम्बद्ध साहित्यिक और अभिलेखीय दोनों प्रकार के साक्ष्य मिलते हैं जो सब मिलकर विक्रम सम्वत की १५वीं शताब्दी से लेकर विक्रम सम्वत की १७वीं शताब्दी के प्रथम दशक तक के हैं। किन्तु जहाँ अभिलेखीय साक्ष्य वि. सं. १४०६ से लेकर विक्रम सम्वत १५७६ तक के हैं एवं उनकी संख्या भी तीस के लगभग है, वहीं साहित्यिक साक्ष्यों की संख्या मात्र दो है। चूँकि उत्तरकालीन अनेक चैत्यवासी मुनिजन प्राय: पाठन-पाठन से दूर रहते हुए स्वयं को चैत्यों की देखरेख और जिन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा आदि कार्यों में ही व्यस्त रखते थे। अत: ऐसे गच्छों से सम्बद्ध साहित्यिक साक्ष्यों का कम होना स्वाभाविक है। साम्प्रत निबन्ध में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इस गच्छ के इतिहास की एक झलक प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। साहित्यिक साक्ष्यों की तुलना में अभिलेखीय साक्ष्यों का प्राचीनतर होने और संख्या की दृष्टि से अधिक होने के साथ ही अध्ययन की सुविधा आदि को नज़र में रखते हुए सर्वप्रथम इनका और तत्पश्चात् साहित्यिक साक्ष्यों का विवरण दिया जा रहा है: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525027
Book TitleSramana 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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