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________________ श्रमण जैन धर्म और प्रयाग डॉ० कृष्णपाल त्रिपाठी गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम पर स्थित प्रयाग (इलाहाबाद) की महिमा अनन्त एवं अनिवर्चनीय है। लोकपितामह ब्रह्मा ने यहाँ शताधिक प्रकृष्ट यज्ञों का सम्पादन किया था, इसीलिए इसको प्रयाग कहा जाता है। भूमण्डल के समस्त तीर्थों में श्रेष्ठ होने के कारण यह तीर्थराज की सम्मान्य उपाधि से विभूषित है। अत्यन्त प्राचीन काल से ही यह स्थान देवी, देवताओं, ऋषियों, मुनियों, सन्तों, महात्माओं के आकर्षण का प्रधान केन्द्र बना हुआ है। इन महापुरुषों ने अपने चरणरज के स्पर्श से इस भूभाग के कण-कण को अत्यन्त पवित्र एवं सेवनीय बना दिया। प्रयाग केवल पवित्र नदियों का ही नहीं, अपितु विविध धर्मों एवं संस्कृतियों का भी संगम-स्थल है। हिन्दू, जैन,बौद्ध आदि धर्मों के अनुयायी इस स्थान को अपने-अपने धर्म से सम्बन्धित एक पवित्र तीर्थ के रूप में मानते हैं। विशेषकर जैन धर्म से प्रयाग का अत्यन्त घनिष्ठ सम्बन्ध है। इस धर्म से सम्बन्धित अनेक घटनायें इसी पावन भूमि में घटित हुई हैं। जैन धर्म एवं संस्कृति का प्रचार भी इस भूभाग में व्यापक स्तर पर हुआ था। अत: इन्हीं विषयों से सम्बद्ध संक्षिप्त चर्चा प्रस्तुत है। प्रयाग का नामकरण जैन पुराणों के अनुशीलन से ज्ञात होता है कि प्रयाग का नामकरण आद्य तीर्थंकर भगवान् ऋषभदेव के पावन चरित्र से सम्बन्धित है। उन्होंने अपने सौ पत्रों को जब विविध जनपदों का अधिपति बनाया, तब कोशलदेश के प्रमुख नगर 'पुरिमताल' का राज्य उनके पुत्र वृषभसेन को प्राप्त हुआ। नीलाञ्जना अप्सरा की असामयिक मृत्यु को देखने से भगवान् ऋषभदेव के मन में जब वैराग्य भाव उत्पन्न हुआ, तब वे जैनेश्वरीदीक्षा लेने के लिए इसी पुरिमताल नगर के समीपवर्ती सिद्धार्थवन में पधारे थे। यहाँ उन्होंने एक वटवृक्ष के नीचे पूर्वाभिमुख होकर पञ्चमुष्टि लोच किया और चैत्र कृष्णा नवमी को सायंकाल के समय उत्तराषाढ़ नक्षत्र में दीक्षा ग्रहण की। उनके साथ भरत-पुत्र मरीचि सहित चार सहस्र राजा भी दीक्षित हए। इन्द्रादि देवों ने बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ प्रभूवर का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525027
Book TitleSramana 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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