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________________ लेखक को २५,०००.०० रु० नगद, प्रशस्ति पत्र, शाल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया जाता है। १९९३ का पुरस्कार संहितासूरि पं० नाथूलालजी शास्त्री, इन्दौर को उनकी कृति प्रतिष्ठा प्रदीप पर एवं १९९४ का पुरस्कार प्रो० लक्ष्मीचन्द्र जैन, जबलपुर को उनकी कृति The Tao of Jaina Sciences पर प्रदान किया जा चुका है। १९९५ का पुरस्कार जैन इतिहास एवं पुरातत्व पर १९९० - १९९५ की अवधि में प्रकाशित अथवा अप्रकाशित मौलिक एकल कृति पर देना घोषित किया गया । ३०. ६. ९५ तक प्राप्त ९ प्रविष्टियों का मूल्यांकन एक त्रिसदस्यीय निर्णायक मंडल द्वारा किया गया। निर्णायक मंडल निम्नवत् है जैन जगत् : -- ८९ १. प्रो० ए० ए० अब्बासी, कुलपति - दे० अ० वि० वि०, इन्दौर | २. प्रो० सी० के० तिवारी, प्राचार्य - होल्कर विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर। देवकुमार सिंह कासलीवाल अध्यक्ष ३. डॉ० एन० पी० जैन, पूर्व राजदूत भारत, ई ५०, साकेत, इन्दौर। निर्णायक मण्डल के निर्णयानुसार प्रो० भागचन्द जैन 'भास्कर' अध्यक्ष पाली प्राकृत विभाग, नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर को उनकी कृति जैन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व (अप्रकाशित) पर प्रदान करने का निर्णय किया गया। Jain Education International - , पुरस्कार समर्पण समारोह परम पूज्य, गणिनी आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी के मंगल सान्निध्य में १२ - १३ मार्च, ९६ के मध्य आयोजित किया जाना है। For Private & Personal Use Only डॉ० अनुपम जैन सचिव www.jainelibrary.org
SR No.525025
Book TitleSramana 1996 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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