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________________ श्रमण धूमावली-प्रकरणम् अनुवाद की : साध्वी अतुलप्रभा आचार्य हरिभद्र द्वारा रचित विपुल साहित्य में बहुत कुछ ऐसा भी है जो वर्तमान में उपलब्ध नहीं है किन्तु उनका यह अनुपलब्ध साहित्य पूर्ण रूप से नष्ट हो गया यह कहना समुचित नहीं होगा। अभी अनेक ग्रंथ-भण्डारों का सर्वेक्षण नहीं हो पाया है और यह सम्भावनाएँ बनी हुई हैं कि इन ग्रंथ-भण्डारों के सर्वेक्षण से उनका कुछ अनुपलब्ध साहित्य उपलब्ध हो जाए। हरिभद्र का धूमावली प्रकरण भी एक ऐसा ही ग्रंथ है जो अभी तक अज्ञात ही था। आचार्य हरिभद्र ने जिनभवन निर्माण, जिनमूर्ति प्रतिष्ठा और जिनमूर्ति पूजा के सम्बन्ध में भी अनेक ग्रंथों यथा - अष्टकों, षोडशकों, विंशिकाओं और पंचाशकों में विवरण प्रस्तुत किया है। प्रस्तुत धूमावली-प्रकरण भी जिनपूजा से सम्बन्धित है। इसमें जिन प्रतिमाओं की कृति धूप को समर्पित करते हुए यह कहा गया है कि यह धूप मेरा समुद्धार करे। ग्रन्थ के अन्त में भवविरह का होना इस तथ्य का प्रमाण है कि यह याकिनीसून आचार्य हरिभद्र की ही रचना है, क्योंकि उन्होंने अपनी रचनाओं के अन्त में पहचान के लिए भवविरह शब्द का प्रयोग किया है। ज्ञातव्य है कि हरिभद्र का एक नाम 'भवविरह स्वामी भी हो गया था क्योंकि वे अपने भक्तों को आशीर्वाद के रूप में 'भवविरह प्राप्त हो' ऐसा कहते थे। प्रस्तुत रचना के अंत में भी भवविरह शब्द का प्रयोग है। इससे माना जा सकता है कि यह रचना आचार्य हरिभद्र की ही है। प्रस्तुत कृति के प्रारम्भ में अर्हन्तों, सिद्धों और मुनियों को समर्पित 'यह धूप मेरा समुद्धार करे' यह भावना व्यक्त की गयी है। इसके साथ ही इसमें त्रिलोक में स्थित शाश्वत जिन प्रतिमाओं का उल्लेख हुआ है। कृति की विशेषता यह है कि इसमें आचार्य, उपाध्याय, साधु, तपस्वी एवं सेवा-भावी व्यक्तियों को भी धूप समर्पण करते हुए यही कहा गया है कि 'यह धूप मेरा समुद्धार करें। अर्हन्त एवं सिद्ध के अतिरिक्त इन्हें भी धूप समर्पित करने का तात्पर्य यही है कि इन्हें भी पूजनीय माना गया है। कृति के अन्त में आचार्य ने भावसुगन्धरूप परमधूप के द्वारा अभिसंस्तुत तीर्थङ्कर और सिद्ध-प्रमुखों से भवविरह अर्थात् मुक्ति प्रदान करने की कामना की। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525025
Book TitleSramana 1996 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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