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________________ श्रमण भगवान महावीर की निर्वाण-तिथि : एक पुनर्विचार डॉ. अरुण प्रताप सिंह भगवान महावीर की निर्वाण-तिथि अर्थात् मृत्यु-तिथि पर विचार करना अपने आपको विवादों के घेरे में फंसा देना है। हजारों वर्षों से सैकड़ों पौर्वात्य एवं पाश्चात्य विद्वानों ने इस पर अपनी लेखनी चलायी है। यह इतना विवादास्पद प्रश्न है जिस पर एक मत होना असम्भव-सा है। प्रायः सभी विद्वानों ने एक दूसरे के मत को काटकर अपने तर्क को स्थापित करने का प्रयास किया है। अभी हाल में मैं पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी से प्रकाशित सागर जैन विद्या-भारती, भाग प्रथम के अन्तिम लेख “भगवान महावीर की निर्वाण-तिथि पर पुनर्विचार" को पढ़ रहा था। यह लेख जैन-विद्या के आधुनिक विद्वानों में मर्धन्य एवं मेरे गुरु डॉ० सागरमल जी द्वारा लिखित है। विद्वान लेखक ने विभिन्न मतों की समालोचना करते हुए महावीर की निर्वाण-तिथि को ४६७ ई० में रखने का आग्रह किया है। इतिहास का विद्यार्थी होने के नाते मेरा इस विषय पर जिज्ञासु होना सहज एवं स्वाभाविक है। उनके मत का पूरा सम्मान करते हुए इस सन्दर्भ में मैं अपने कुछ भिन्न विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ। यह लेख इसी उद्देश्य से प्रेरित है। महावीर की निर्वाण-तिथि ज्ञात करने के लिए हमें कई पक्षों पर विचार करना होगा। छठी शताब्दी ईसा पूर्व का भारत अपने दो ऐतिहासिक महापुरुषों के लिए सुविख्यात है, ये हैं – महावीर एवं बुद्ध। इनकी समकालिकता असंदिग्ध है। महावीर की निर्वाण-तिथि ज्ञात करने के लिये बुद्ध की भी निर्वाण-तिथि ज्ञात करनी होगी। इस सन्दर्भ में विदेशी साक्ष्यों तथा महावीर एवं बुद्ध के समकालीन भारतीय नरेशों के काल को भी ध्यान में रखना होगा तथा उनके समसामयिक तादात्म्य को स्थापित करना होगा। इन सभी साक्ष्यों का आलोचन करने के उपरान्त ही हम एक निर्णायक निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं। जैन एवं बौद्ध-परम्परा के साहित्य में तिथि के सम्बन्ध में सबसे प्राचीनतम ग्रन्थ बौद्ध परम्परा का दीघनिकाय है। यह ग्रन्थ महावीर एवं बुद्ध की समकालिकता को तो स्पष्ट करता ही है, साथ ही साथ इन दोनों महापुरुषों के सान्निध्य में रहने वाले मगध सम्राट अजातशत्रु ( कुणिक ) का भी परिचय प्रदान करता है। दीपनिकाय से ज्ञात होता है कि अजातशत्रु के राज्यकाल में ही महावीर एवं बुद्ध दोनों निर्वाण को प्राप्त हुए। अजातशत्रु के राज्याभिषेक के ८वें वर्ष में बुद्ध का एवं २२वें वर्ष में महावीर का निर्वाण हुआ। बौद्ध साहित्य के अनुसार बुद्ध ८० वर्ष की आयु में तथा जैन स्रोत के अनुसार महावीर ७२ वर्ष की आयु में मृत्यु को प्राप्त हुए। इस प्राचीनतम स्रोत के आधार पर जो निष्कर्ष निकलता है, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525024
Book TitleSramana 1995 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1995
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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