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________________ नागेन्द्रगच्छ का इतिहास : ६५ विचारश्रेणी की एक मुद्रित प्रति प्रो० एम० ए० ढांकी के पास भी है, परन्तु उसमें प्रकाशन सम्बन्धी सूचनाओं का अभाव है। ८३. देसाई, पूर्वोक्त, पृ० ४४२. 58. P. Peterson, Sixth Report of Operation in Search of Sanskrit Mss in the Bombay Circle, April 1895 -March 1898A. D., pp. 43-46 एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी, प्रबन्धचिन्तामणि ( हिन्दी अनुवाद ), सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ३, शान्तिनिकेतन १६४० ई० सन्, प्रस्तावना, (लेखक - मुनिजिनविजय ) पृ० 'ठ'. ८५. P. Peterson, Ibid, pp. 43-46. संकेत सूची जै० ले० सं० - जैन लेख संग्रह, भाग १-३, संपा०, पूरनचन्द नाहर, कलकत्ता १६१८, १९२७, १६२६ ई० सन्. प्रा० ० ले० सं० - प्राचीन जैन लेख संग्रह, भाग २, संपा०, मुनि जिनविजय, जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर. जै० धा० प्र० ले० सं०-- जैन धातु प्रतिमा लेख संग्रह, भाग १-२, संपा०, मुनि बुद्धिसागरसूरि, अध्यात्म ज्ञान प्रसार मण्डल, पादरा १६२४ ई० सन्. प्रा० ले० सं० - प्राचीन लेख संग्रह, संपा०, विजयधर्मसूरि, यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर १६२६ ई० सन्. प्र० ले० सं० – प्रतिष्ठा लेख संग्रह, संपा०, विनयसागर, सुमति सदन, कोटा १६५३ ई० सन्. बी० जै० ले० सं० – बीकानेर जैन लेख संग्रह, संपा०, अगरचन्द नाहटा एवं ____ भँवर लाल नाहटा, नाहटा ब्रदर्स, ४ जगमोहन मल्लिक लेन, कलकत्ता १६५६ - ई० सन्. श्री० प्र० ले० सं० - श्री प्रतिमा लेख संग्रह, संपा०, दौलत सिंह लोढ़ा, यतीन्द्र साहित्य सदन, धामणिया, मेवाड़ १६५१ ई० सन्. रा० प्र० ले० सं० - राधनपुर प्रतिमा लेख संग्रह, संपा०, मुनि विशालविजय, यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर १६६० ई० सन्. श० वै० – शत्रुजय वैभव, मुनि कान्तिसागर, कुशल संस्थान, पुष्प ४, जयपुर । १६६० ई० सन्. प्रवक्ता पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525023
Book TitleSramana 1995 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1995
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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