SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन जगत् विश्वशान्ति के लिए जैन संत श्री सहज मुनि के २०१ उपवास महान जैनसंत श्री सहज मुनि जी गत २२ जून १९९४ से विश्वशांति के लिए बम्बई के खार उपनगर में उपवास ( तप ) कर रहे हैं। आगामी ८ जनवरी १९९५ को मुनिश्री के उपवास का २०१वां दिन होगा। बम्बई में उसी दिन अखिल भारतीय स्तर पर ‘तपपूर्ति - महोत्सव' आयोजित किया जा रहा है। संत श्री सहजमुनि ने जैन समाज के सभी सम्प्रदायों में तपस्या का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। आप घोर तपस्वी श्री फकीरचन्द जी के योग्य शिष्य हैं। परमज्ञानी श्री मुनिजी ने आत्मशुद्धि के लिए तपस्या को मुख्य लक्ष्य बनाया। तपस्या के साथ-साथ आप में शांति एवं सौम्यता का अद्वितीय संगम है। आपने निर्विघ्न तपस्या करके कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर जिन शासन को गौरवान्वित किया है। जैन दिवाकर दीक्षा शताब्दी समारोह स्थानकवासी समाज के वरिष्ठ संत पूज्य गुरुदेव, प्रसिद्ध वक्ता, जगतवल्लभ जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म० सा० एवं पूज्य आचार्य श्री खूबचन्द जी म०सा० का दीक्षा शताब्दी वर्ष २०५२ से प्रारम्भ हो रहा है। शताब्दी का आयोजन दिनांक २.४.९५ को रतलाम से किया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में जैन दिवाकर स्मारक, सागोद रोड़, रतलाम में अखिल भारतीय स्तर पर एक वृहद् समारोह का आयोजन भी किया जा रहा है। माननीय मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश शासन, समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। उक्त अवसर पर श्रमण संघीय सलाहकार उपाध्याय श्री मूलचन्दजी म० सा० एवं श्रमण संघीय सलाहकार तपस्वीराज श्री मोहनमुनि म० सा० का अभिनन्दन किया जायेगा तथा साथ ही 'जैनदिवाकर चिकित्सालय एवं रिसर्च सेण्टर' के भव्य भवन का उद्घाटन भी किया जायेगा । श्रीमती रसकुँवर देवी सूर्या का निधन - श्री अ०भा० साधुमार्गीय जैन महिला समिति की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती रसकुंवर बाई धर्मपत्नी स्व० श्री गोकुलचंद जी सूर्या का ६० वर्ष की अवस्था में १ दिसम्बर १९९४ को उज्जैन में अल्प बीमारी के बाद संथारापूर्वक देहावसान हो गया। ___ उनके निधन से विभिन्न सामाजिक संगठनों, लोकोपकारी संस्थाओं, धार्मिक संघों आदि क्षेत्रों को गहरी क्षति पहुँची है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525022
Book TitleSramana 1995 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1995
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy