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________________ 6 : डॉ० राजीव प्रचण्डिया अन्ततः भारतीय दर्शन और उससे अनुप्राणित साहित्य में "मोक्ष", पुरुषार्थ चतुष्टय के अन्तर्गत अन्तिम पुरुषार्थ के रूप में स्वीकृत है।। सन्दर्भ-ग्रन्थ 1. (क) तदत्यन्तविमोक्षोपवर्गः । - सभाष्यन्यायसूत्र, 7/7/22 (ख) ईश्वरकृष्ण कारिका, 1 (ग) योगसूत्र, 2-26 (घ) आत्यन्तिको दुःखाभावः मोक्षः । - न्यायवार्तिक (ङ) न्यायसूत्र, 1/1/2 पर भाष्य (च) दर्शन और चिन्तन, लेखक - पं. सुखलालजी, योग विद्या, पृ. 252 धर्म, दर्शन मनन और मूल्यांकन, लेखक -- श्री देवेन्द्रमुनिशास्त्री, अध्याय-धर्म/दर्शन का परमलक्ष्य, पृष्ठ 236 दर्शन और चिन्तन, लेखक -- पं. सुखलालजी, योग विद्या, पृ. 252 जैनदर्शन में मुक्ति : स्वरूप और प्रक्रिया, लेखक -- श्री ज्ञानमुनिजी महाराज (जैनभूषण), श्री पुष्करमुनि अभिनन्दन ग्रन्थ, चतुर्थ खण्ड, पृ. 316 चिन्तन की मनोभूमि, उपाध्याय अमरमुनि, पृ. 60 (क) उत्तराध्ययनसूत्र, अध्याय 29, सूत्र 72 (ख) दशाश्रुतस्कन्ध, अध्याय 5, गाथा 13 (ग) ___ मोक्ष असने -- । स आन्त्यन्तिक : सर्वकर्मनिक्षेपो मोक्ष इत्युच्यते। -- राजवार्तिक, 1/1/37 (घ) धवला, 13/5/5/82 (ङ) भगवतीआराधना, वि. 38/134 सर्वार्थसिद्धि, 1/1 की उत्थानिका (छ) परमात्मप्रकाश, 2/10 (ज) ज्ञानार्णव, 3/6-10 (झ) द्रव्यसंग्रह (टीका), 37 (त) .जं अप्पसहावादो मूलोत्तरपयडिसंचियं मुच्चइ । - बृहद्नय चक्र, 159 (थ) आत्मबन्धयोर्दिधाकरणं मोक्षः । - समयसार, आत्मख्याति, 288 (द) कृत्स्नकर्म विप्रमोक्षो मोक्षः । - तत्त्वार्यसूत्र, 10/2 जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भाग, 3, क्षुल्लक जिनेन्द्रवर्णी, पृ. 332 (क) उत्तराध्ययनसूत्र, अध्याय 36, गाथा 57 (ख) ज्ञानार्णव, 42 (ग) तत्त्वार्थसूत्र, 10/5 (घ) नियमसार, मूल, 72rivate & Personal Use Only www.jainelibrary.org (च) Jain Education International
SR No.525020
Book TitleSramana 1994 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1994
Total Pages50
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size3 MB
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