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________________ प्रधान सम्पादक प्रो० सागरमल जैन सम्पादक सह-सम्पादक डा० शिव प्रसाद डा० अशोक कुमार सिंह वर्ष ४४ अक्टूबर-दिसम्बर, १९९३ अंक १०-१२ प्रस्तुत प्रङ्क में १. जैन परम्परा के विकास में स्त्रियों का योगदान -डा० अरुण प्रताप सिंह २. अशोक के अभिलेखों में अनेकान्तवादी चिन्तन : एक समीक्षा--डा. अरुण प्रताप सिंह ३. हिन्दू एवं जैन परम्परा में समाधिमरण : एक समीक्षा--डा. अरुण प्रताप सिंह ४ प्राचीन जैन ग्रंथों में कर्मसिद्धांत का विकासक्रम --डा० अशोक सिंह ५. हिन्दी जैन साहित्य का विस्मृत बुन्देली कवि : देवीदास --डॉ० (श्रीमती) विद्यावती जैन ६ मूक सेविका--विजयाबहन -- शरदकुमार साधक शोधप्रबन्धसार ७ बृहत्कल्पसूत्रभाष्य का सांस्कृतिक अध्ययन -डॉ० महेन्द्र प्रताप सिह ८ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र : एक कलापरक अध्ययन -- डॉ० शुभा पाठक ९. काशी के घाट : कलात्मक एवं सांस्कृतिक अध्ययन - डॉ. हरिशंकर १० पुस्तक समीक्षा ११. जैन जगत वार्षिक शुल्क एक प्रति चालीस रुपये दस रुपये यह आवश्यक नहीं कि लेखक के विचारों से सम्पादक अथवा संस्थान सहमत हों। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525016
Book TitleSramana 1993 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1993
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size3 MB
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