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________________ सन्दर्भ -कलं - - - - हरिभद्रसूरि का समय निर्णय, पृ.6 उपदेशपद प्रशस्ति हरिभद्रीयनन्दीवृत्ति, हरिभद्रीयदशवैकालिकवृत्ति, पंचसूत्रविवरण की प्रशस्ति कुवलयमालाकहा अनुच्छेद 6, पृ.4 समराइच्चकहा प्रस्तावना, पृ.4 (हिन्दी अनुवाद, छगन लाल शास्त्री) गणधरसार्धशतक की बृहद् व्याख्या आवश्यकनियुक्ति, गा. 42 आवश्यक हरिभद्रीय वृत्ति, पृ.111 कहावली, उद्धृत हरिभद्रसूरि के प्राकृत साहित्य का आलोचनात्मक अध्ययन, पृ. 45 वही, जैन साहित्य का बृहद इतिहास, भाग 3, पृ. 363। पंचशती प्रबोधसम्बन्ध, पृ.263 प्रभावक चरित, उद्धृत हरिभद्रसूरि के प्राकृत साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन, पृ. 45 हरिभद्र का समय निर्णय, पृ:11 श्री हरिभद्र प्रबन्ध, उद्धृत, 206 जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग 3, पृ. 363 योगशतक की हिन्दी प्रस्तावना, पृ.4, हरिभद्र सूरि का समय निर्णय, पृ. 11 कुवलयमालाकहा, पृ. 4 वही, पृ. 242 हरिभद्र सूरि का समय निर्णय, पृ. 62 हरिभद्रसूरि का समय निर्णय, पृ. 62 जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग 3, पृ. 362 जैन साहित्य का बृहद इतिहास, भाग 4, पृ. 204 प्राकृत साहित्य का इतिहास, पृ. 295 वही, पृ. 302 .. देखिये -- भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान - डॉ. हीरालाल जैन का लेख जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग 4, पृ. 270 जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग 4, पृ. 271 जगदीश चन्द्र जैन, प्राकृत साहित्य का इतिहास, पृ. 302 जैन साहित्य का बृहद इतिहास, भाग 4, पृ. 234 - - 17. 1 . 22. 23 25 21. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525014
Book TitleSramana 1993 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1993
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size3 MB
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