________________
साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित पूर्णिमागच्छप्रधानशाखा के मुनिजनों का विद्यावंशवृक्ष
Jain Education International
चन्द्रप्रभसूरि । पूर्णिमागच्छ के प्रवर्तक, वि.सं. 1149]
धर्मघोषसूरि
समुद्रघोषसरि (परमारनरेश) नरवर्मा [वि.सं. 1151/ई.सन् 1094
वि.सं. 1190/ई.सन् 1133 और जयसिंह सिद्धराज [वि.सं. 1151/ई.सन् 1095-वि.सं.1199/ई.सन् 1143 के राजदरबार में सम्मानित ]
For Private & Personal Use Only
सुरप्रभसूरि । प्रधानशाखा या टैटेरिया शाखा के प्रर्वतक]
जिनेश्वरसूरि
भद्रप्रभसूरि
पुरुषोत्तमसूरि
देवतिलकसरि
www.jainelibrary.org
रत्नप्रभसूरि
तिलकप्रभसूरि