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________________ 56 श्रमण, अक्टूबर-दिसम्बर, १९८२ प्रशस्तियों की उक्त तालिका में उल्लिखित मुनिजनों के पूर्वापर सम्बन्धों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है :1. जयसिंहसूरि के पट्टधर जयप्रभसूरि 2. जयप्रभसूरि के पट्टधर यशस्तिलकसूरि, भुवनप्रभसूरि और जयमेरुसूरि 3. भुवनप्रभसूरि के पट्टधर कमलप्रभसूरि, मुनि राजसुन्दरसूरि, मुनिरत्नमेरुसूरि, कमलसंयमसरि और वीरकलशसरि कमलप्रभमूरि के पट्टधर राजमाणिक्य और पुण्यप्रभसूरि 5. पुण्यप्रभसूरि के पट्टधर विद्याप्रभसरि विद्याप्रभसूरि के पट्टधर ललितप्रभसूरि 7. ललितप्रभसूरि के पट्टधर विनयप्रभसरि 8. विनयप्रभसूरि के पट्टधर कीर्तिरत्नसूरि, मुनि हेमराजसूरि और महिमाप्रभसूरि 9. महिमाप्रभसूरि के पट्टधर भावप्रभसूरि, भावरत्नसरि और मुनिलाल 10. भावप्रभसूरि के पट्टधर भावरत्नसूरि और ज्योतिरत्नसूरि उक्त विवरण के आधार पर इन मुनिजनों के गुरु-शिष्य परम्परा की एक तालिका अथवा विद्या वंशवृक्ष तैयार होता है, जो इस प्रकार है -- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525012
Book TitleSramana 1992 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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