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________________ जैन कर्मसिद्धान्त और मनोविज्ञान (शोधप्रबन्ध संक्षेपिका) , प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध के अध्ययन का विषय जैन कर्मसिद्धान्त और मनोविज्ञान है । यह प्रबन्ध आठ अध्यायों में विभक्त है। लाघव की दृष्टि से प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध की विषय-सामग्री का सारांश प्रस्तुत है : ; - प्रथम अध्याय में भारतीय दर्शन में कर्मसिद्धान्त पर प्रकाश डाला गया है। वैदिक, बौद्ध तथा जैन दर्शनों के कर्म सिद्धान्तों की विवेचना की गई है। रत्न लाल जैन भारतवर्ष प्राचीन काल से आध्यात्मिकता की क्रीड़ास्थली रहा है। भारतीय जन-जीवन में कर्म शब्द बालक, युवक और वृद्ध सभी की जबान पर चढ़ा हुआ है। भारत की इस पुण्य भूमि पर ही वेदान्त, सांख्य, योग, न्याय, मीमांसक, वैशेषिक, बौद्ध, जैन आदि दर्शनों का आविर्भाव हुआ । अध्यात्म की व्याख्या कर्म सिद्धान्त के बिना नहीं की जा सकती । इसलिए यह एक महान् सिद्धान्त है। जैन दर्शन में 'कर्म' शब्द जिस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है, उसी अर्थ में या उससे मिलते-जुलते अर्थ में अन्य दर्शनों में भी इसके लिए अनेक शब्दों का प्रयोग किया गया है, जैसे-- माया, अविद्या, प्रकृति, अपूर्व, अदृष्ट, वासना, कर्माशय, संस्कार, दैव, भाग्य आदि-आदि। वेदान्त दर्शन में माया, अविद्या तथा प्रकृति शब्द का प्रयोग हुआ है । अपूर्व शब्द मीमांसा दर्शन में प्रयुक्त हुआ है। धर्माधर्म और अदृष्ट न्याय और वैशेषिक दर्शनों में प्रचलित है 1 कर्माशय शब्द योग और सांख्य दर्शन में उपलब्ध है। वासना शब्द बौद्ध दर्शन में प्रचलित है। —— -- भारतीय दर्शनों में जैसा कर्म वैसा फल - सिद्धान्त की मान्यता है । महाभारत में कहा गया है. 'जिस प्रकार गाय का बछड़ा हजारों गौओं में अपनी मां को ढूढ़ लेता है और उसका अनुसरण करता है, उसी प्रकार पूर्व कृत कर्म उसके कर्ता का अनुसरण करते हैं तथा दूसरी योनि में अपने किये हुए कर्म परछाई के समान साथ-साथ चलते हैं । भगवान् बुद्ध ने कहा है 'जो जैसा बीज बोता है, वह वैसा ही फल पाता है।' भगवान् महावीर ने कहा है किया हुआ कर्म सदा अपने कर्ता का अनुगमन करता है। अच्छे कर्मों के अच्छे फल और बुरे कर्मों के बुरे फल होते हैं। - Jain Education International For Private & Personal Use Only -- www.jainelibrary.org
SR No.525011
Book TitleSramana 1992 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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