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________________ भवर लाल नाहटा धन माइ जणइ दी सब्ब विधि चंगा। विरह दवण मुखि अमी चवइ। अरडक्कमल्ल सुंदर सुखि रावई पाचाधणि सुखि सेज रवई ।। 3 ।। उत्तर नारि तरुणि सर्विचक्षण। कमल वदनि विगसंदी साधण। चबे कले पिया मनि भावा। अरडकमल्ल सेज सुखि रावां।। 1।। विणी णैदीहइ मसाडइ धीगोटइ मालोटइ नगर कोटइ। लोकांदा खेलु देखइ । बोलइ चेली साकिने हडी अपदरा लंगोदा हार कस्तुरी दा महाकार पानां फोफलां सिंगार। चूड़ेदा झंकार राहोति धो पिछई। जां देखइ ता कुवर एक। कोटी-कोटी जांदो दिठो। बोलई विडिए इन्हादे कारणरं । देवी जालपादी भगति किती तां मन चिंदे दिवहे सो वरु पाया। मन धिंदे दिवहे सो वरु पाया पजी जालपा इछकरे। धण चबें कली भमर भुंजक पिय मुत्ती मांग सिंदूर भरे।। गुण गाहा गंध छंदछयल्ल पणिपुहवि पुदहर छल्ह चवइ। अरडकमल्ल सुंदर (सेज) सुषि रावई उत्तरधिणी सुखि सेज रवई।।4।। गुज्जरि गुणह गरिह नेह नव जुब्वणवाली। पुव्विणि पेम सणेह रुपि करि काम कराली।। पाचाधणि हसि पिगसि सेजलटकइदी आवइ। करि सिंगार पुव्वणी रहसिकरि प्रीय मनि भावइ । गुणि सील सहजि च्यारइ चतुरि सुकवि छल्ह सचु चवइ। संघाधिपति तेजपाल तनु सो अरडकमल सिज्जारमई।।5।। इति।। संघपति तेजपाल छंद कामिणि सा काणयंगी कणहीग कणय कुसुम करि गहियं __ अराहइ अरिहंतो वर मंगइ तेजपालस्य।। 1।। सुंदरी मराल गमिणी वयणी ससि पुन्न मज्ज्ञि सारंगी अय तिख वंक घवला लोयण मग डिंभ वंक सुक रंका।।2।। कुरंक डिंभ लोइणी, हुरई अर्णागि रंत्तियाँ ___ रवतर सेय कृश्न नयड़ श्रवण पत्तियाँ।। कडरव तिख पथवाणं भाव भेद जाणये। सुतेज नो मंयक रुवि सेज तीय माणये।। 1।। जु कोमला मृणाल बाल पाण पंकजासरे। __ गंभीर नाभि मझि खीण लंक मुठि केहरे।। सलायए www.jainelibrary.org सशरसोलहा रावल Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.525011
Book TitleSramana 1992 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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