________________
प्रधान सम्पादक प्रो० सागरमल जैन
सम्पादक डा० अशोक कुमार सिंह
सह-सम्पादक डा. शिव प्रसाद
-
वर्ष ४३
जुलाई-सितम्बर, १९९२
अंक
प्रस्तुत अङ्क में १. जैन-धर्म और दर्शन की प्रासंगिकता-वर्तमान परिप्रेक्ष्य में
- डा० इन्दु २. वैदिक साहित्य में जैन परम्परा -प्रो० दयानन्द भार्गव ३. श्वेताम्बर मूलसंघ एवं माथुर संघ : एक विमर्श
-प्रो० सागरमल जैन . ४. जैन दृष्टि में नारी की अवधारणा
-डा० श्री रंजन सूरिदेव स ५. पूर्णिमागच्छ का संक्षिप्त इतिहास -डा० शिव प्रसाद २ | ६ कवि छल्ह कृत अरडकमल्ल का चार भाषाओं में वर्णन
~श्री भंवरलाल नाहटा ५ | ७. द्वादशार नयचक्र का दार्शनिक अध्ययन
-- जितेन्द्र बी० शाह ५९ ८. जैन कर्मसिद्धान्त और मनोविज्ञान
-रत्नलाल जैन ६ ९. पुस्तक समीक्षा १०. पार्श्वनाथ शोधपीठ के प्रांगण में
वार्षिक शुल्क
एक प्रति चालीस रुपये
दस रुपये यह आवश्यक नहीं कि लेखक के विचारों से सम्पादक अथवा संस्थान सहमत हों।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org