SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७४ श्रमण, अप्रैल-जून १९९२ प्रीमक'-ग्रन्थ में औमक वस्त्रों का भी उल्लेख है। एक प्रसंग में आनन्द ने दो औमक वस्त्रों को छोड़कर बाकी सभी वस्त्र दान में दे दिया था। सुनन्दा व सुमंगला ने भी विवाह के अवसर पर औमक वस्त्र धारण किया था। क्षौम - यह अत्यन्त महीन एवं सुन्दर वस्त्र था । यह अलसी की छाल तन्तु से निर्मित होता था। वी० एस० अग्रवाल के अनुसार यह असम एवं बंगाल में उत्पन्न होने वाली एक प्रकार की घास से निर्मित किया जाता था। काशी और पुण्ड्र देश का क्षौम प्रसिद्ध था। __उत्तरीय - इसका प्रयोग दुपट्ट के अर्थ में किया गया है। इसे कन्धे पर धारण करते थे। अमरकोश में उत्तरीय को ओढ़ने वाला वस्त्र कहा गया है । यह पुरुष और स्त्री दोनों धारण करते थे।' अन्तरीय 0-अधोभाग में पहने जाने वाले वस्त्रों में अन्तरीय, उपसंव्यान, परिधान और अधोशुक का उल्लेख किया गया है।५१ इन वस्त्रों को भी स्त्री-पुरष दोनों के द्वारा पहना जाता था।१२ अमरकोश में धोती के पर्यायार्थक अन्तरीय, उपसंव्यान, परिधान और अधोशुक. का उल्लेख है।३ १. विषष्टि, १०।३।२५२ २. वही, १०८।२५२ ३. त्रिषष्टि १।२।८०५ ४. वही ८२।३५५ ५. मोतीचन्द्र : प्राचीन भारतीय वेषभूषा, भारती भण्डार प्रयाग सं० २०१२ पृ० ५ ६ हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पूर्वोक्त पृ० ७६ ७. मोतीचन्द्र : वही, पृ० ९ ८. त्रिषष्टि २।३।२१७ ९. अमरकोष २।६।११८ १०. त्रिषष्टि १।३।३६३ ११. वही, २।५।८८, २।६।९, ७।६।३९० १२. वही, ६।७२२, ८।३।४८५ १३. अमरकोष २।६।११७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525010
Book TitleSramana 1992 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy