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________________ 'त्रि० श० च० में सांस्कृतिक जीवन वस्त्रों के प्रकार-ग्रन्थ में सूती, ऊनी तथा रेशमी तीनों प्रकार के वस्त्रों का उल्लेख प्राप्य है । इनका विवरण निम्नवत् है देवदूष्य'-ग्रन्थ में तीर्थंकरों के पंच कल्याणकों के अवसरों पर इन्द्रादि देवताओं द्वारा लाये गये देवदूष्य वस्त्र का उल्लेख मिलता है। भगवती सूत्र में देवदूष्य को एक दैवी वस्त्र बताया गया है ।२ वी० 'एस० अग्रवाल के अनुसार यह एक कीमती वस्त्र था। दिव्य वस्त्र-ग्रन्थ में कई स्थलों पर दिव्य वस्त्र का उल्लेख किया गया है । यह कोई उत्कृष्ट वस्त्र रहा होगा। दुकूल' ---ग्रन्थ में कई तीर्थंकरों के जन्म कल्याणकोत्सव के समय दुकूल वस्त्र पहनने का उल्लेख है। निशीथचूर्णी में वर्णित है कि दुकल का निर्माण दुकूल नामक वृक्ष की छाल को कूटकर उसके रेशे से करते थे। अंशुक --निशीथचूर्णी के अनुसार अंशुक में तारबीन का काम होता था । अलंकारों में जरदोजी का काम एवं उनमें स्वर्ण के तार से चित्र-विचित्र नक्काशियाँ निर्मित की जाती थीं।' बृहत्कल्पभाष्य की टीका में यह कोमल एवं चमकीला रेशमी वस्त्र वर्णित किया गया है।' सोमदेव ने भी इसका उल्लेख किया है।१० १. त्रिषष्टि १।३।६४, २।४।३६५ २. भगवती सूत्र, १५।११५४१ ३. अग्रवाल, वी० एस०–हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, विहार राष्ट्र भाषा परिषद्, पटना १९५३ पृ० ७५ ४. त्रिषष्टि, २।४॥१०० ५. वही, ४।१।५५९ ६. निशीथचूर्णी खण्ड १ सम्मतिज्ञानपीठ आगरा, १९५७-६०, पृ० १०-१२ ७. त्रिषष्टि, ८।३।१७३, २।१।२०२ ८. निशीथचूर्णी ४, पूर्वोक्त पृ० १६७ ९. बृहत्कल्पभाष्य, ४।३६-६१ १०. यशस्तिलक-उत्तर खण्ड, संपादक शिवदत्त, निर्णयसागर प्रेस बम्बई, १९०१, १९०३, पृ० १३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525010
Book TitleSramana 1992 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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