SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 58
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रमण, अप्रैल-जून १९९२ करना तथा श्रावक के बारह व्रतों एवं ग्यारह प्रतिमाओं का पालन करना चर्या अथवा निष्ठा है। इसप्रकार की चर्या का आचरण करने वाला गृहरथ नैष्ठिक श्रावक कहलाता है। सागार धर्मामृत में कहा है--देशसंयम का घात करने वाली कषायों के क्षयोपशम की क्रमशः वृद्धि के वश से श्रावक के दार्शनिक आदिक ग्यारह संयम स्थानों के वशीभूत और उत्तम लेश्या वाला व्यक्ति नैष्ठिक कहलाता है।' साधक श्रावक __ इसी तरह जिसमें सम्पूर्ण गुण विद्यमान हैं, जो शरीर का कम्पन, उच्छवास लेना, नेत्रों का खोलना आदि क्रियाओं का त्याग कर रहा है और जिसका चित्त लोक के ऊपर विराजमान सिद्धों में लगा हुआ है, ऐसे समाधिमरण करने वाले का शरीर परित्याग करना साधकपना कहलाता है। दूसरे शब्दों में, जीवन के अन्त में आहारादि का सर्वथा त्याग करना साधन कहलाता है। इस साधन को स्वीकार करते हुए ध्यान शुद्धिपूर्वक आत्मशोधन करने वाला गृहस्थ साधकश्रावक कहलाता है। अथवा जो श्रावक आनन्दित होता हआ जीवन के अन्त में मृत्यु समय शरीर, भोजन और मन, वचन, काय के व्यापार के त्याग से पवित्र ध्यान के द्वारा आत्मा की शुद्धि को साधन करता है, वह साधक कहा जाता है। अणुव्रत हिंसादिक पापों की जीवनपर्यन्त निवृत्ति व्रत है। श्रावक इन व्रतों का एकदेश पालन करता है। अतः उसके द्वारा पाले जाने वाले व्रत अणुव्रत कहलाते हैं। इन व्रतों को सर्वाङ्ग पालन न कर पाने का कारण कषाय माना गया है। क्रोधादि कषायों की तीव्रता के कारण साधक सम्पूर्ण चारित्र को धारण नहीं कर पाता। इसलिए उसके द्वारा १. देशयमनकषाय-क्षयोपशमतारतम्यवशतः स्याम् । दर्शनि काद्य कादश-दशावशो नैष्ठिकः सुलेश्यतरः ।। सा० ध० ३।१ २. सकलगुणसंपूर्णस्य शरीरकम्पनोच्छ्वासनोन्मीलन विधि परिहरमाणस्य लोकागमनसः शरीरपरित्यागः साधकत्वम् । वा० सा० ४११० ३. सा० ध० १११९-२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525010
Book TitleSramana 1992 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy