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________________ १८ श्रमण, अप्रैल-जून १९९२ है, इन दोनों का काल विद्वानों ने छठी शताब्दी का उत्तरार्ध और सातवीं शती का पूर्वार्ध माना है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि षट्खण्डागम का काल लगभग पांचवीं शती का उत्तरार्ध या छठी शताब्दी का पूर्वार्ध रहा होगा। इतना निश्चित है कि षट्खण्डागम में 'गुणस्थान' नाम को छोड़कर गुणस्थान सम्बन्धी समस्त अवधारणायें अपने विकसित रूप में हैं । यद्यपि हम अपने पूर्व निबन्ध' में यह बता चुके हैं कि गणस्थान सिद्धान्त के विकास का आधार, आचार्य उमास्वाति के तत्वार्थसूत्र में प्रतिपादित कर्म निर्जरा के आधार पर आध्यात्मिक विकास की दस अवस्थायें हैं। तथापि इस सम्बन्ध में खोजबीन के दौरान हमें इन दस अवस्थाओं का चित्रण षट्खण्डागम के चतुर्थ वेदना खण्ड के अन्तर्गत सप्तम वेदना विधान की चलिका में तथा आचारांगनियुक्ति की गाथा २२२-२२३ में भी मिला है । षट्खण्डागम की चूलिका में प्रस्तुत ये गाथायें मूल ग्रन्थ का अंश न होकर कहीं से ली गई हैं और चूलिका में इनकी व्याख्या की गई है । सम्भावना यह है कि ये गाथायें आचारांगनियुक्ति से उसमें ली गई हों। हम यह भी प्रमाणित कर चुके हैं कि उमास्वाति के तत्त्वार्थसूत्र में उपलब्ध गुणस्थान सिद्धान्त के बीजों का ही क्वचित् विकास कसायपाहुड में हुआ हैं। मेरी दृष्टि में कसायपाहुड, उमास्वाति के तत्त्वार्थसूत्र के पश्चात् लगभग ५० से १०० वर्ष के बीच निर्मित हुआ है। यह बात भिन्न है कि हम उमास्वाति का काल क्या मानते हैं ? उमास्वाति के काल के आधार पर ही इन ग्रन्थों के काल का निर्धारण किया जा सकता है। हम सामान्य रूप से उमास्वाति के तत्त्वार्थसूत्र का काल तीसरी-चौथी शताब्दी मानते हैं और इसी आधार पर हमने इन तिथियों का निर्धारण किया है। जो लोग तत्त्वार्थसूत्र को प्रथम शताब्दी की रचना मानते हैं वे लोग इन तिथियों को एक-दो शताब्दी पूर्व ला सकते हैं। इतना निश्चित है कि प्रज्ञापना के काल अर्थात ईस्वी सन् की प्रथम शताब्दी तक गुणस्थान सिद्धान्तों का विकास नहीं हुआ था, किन्तु उस काल तक कर्म निर्जरा पर आधारित आध्यात्मिक १. गुणस्थान सिद्वान्त का उदभव एवं विकास श्रमण, जनवरी-मार्च ९२, पा० वि० शोध संस्थान वारागसी-५ पृ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525010
Book TitleSramana 1992 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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