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________________ गुणस्थान सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास नहीं है किन्तु शुभचन्द्र की टीका में उस अवस्था का उल्लेख किया है। टीका में मिथ्यात्व अवस्था का परिगणन नहीं करके ११ अवस्थाओं का उल्लेख किया गया है। साथ ही टीकाकार ने अयोगी केवली की चर्चा न कर स्वस्थानकेवली और समुद्घात केवली ऐसे दो स्थानों की चर्चा की है। यद्यपि षटखण्डागम के व्याख्या ग्रन्थों में यथाप्रवृत्ति केवली और योगनिरोध केवली ऐसे दो स्थानों की चर्चा हुई है किन्तु टीकाकार (शुभचन्द्र ने) योगनिरोध केवली की जगह समुद्घात केवली की चर्चा की है। ज्ञातव्य है कि समुद्घात केवली का अन्तर्भाव सयोगी केवली में होता है, अयोगी केवली में नहीं होता यह कार्तिकेयानुप्रेक्षा के टीकाकार की अपनी विशेषता है । यदि हम कात्तिकेयानुप्रेक्षा में गुणस्थान सिद्धान्त के उल्लेख के अभाव तथा इसमें कर्मनिर्जरा के आध्यात्मिक विकास की ११ अवस्थाओं के चित्रण की उपस्थिति की दृष्टि से इस ग्रन्थ का काल निर्धारण करें तो वह चौथी शताब्दी के उत्तरार्ध और पाँचवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध के बीच का प्रतीत होता है । कात्तिकेयानुप्रेक्षा में प्रतिपाद्य विषयों का जो सरल और सुस्पष्ट विवरण है उसके आधार पर तथा उसकी भाषा की प्राचीनता के आधार पर उसे इस अवधि का मानने में सामान्य रूप से कोई बाधा नहीं आती। दिगम्बर परम्परा में १२ अनुप्रेक्षाओं का स्वतन्त्र विवरण देने वाले दो ग्रन्थ हैं-प्रथम-कुमार स्वामी का बारस्साणुवेक्खा अपरनाम कार्तिकेयानुप्रेक्षा और दूसराआचार्य कुन्दकुन्द का बारस्साणुवेक्खा।। कार्तिकेयानुप्रेक्षा और कुन्दकुन्द की द्वादशानुप्रेक्षा का तुलनात्मक अध्ययन करने पर हम यह पाते हैं कि कुन्दकुन्द के द्वादशानुप्रेक्षा में स्पष्ट रूप से निश्चयनय की प्रधानता और दार्शनिक गम्भीरता है जबकि कात्तिकेयानुप्रेक्षा में इस प्रकार की कोई चर्चा नहीं है। इससे कुन्दकुन्द के द्वादशानुप्रेक्षा की अपेक्षा कार्तिकेयानुप्रेक्षा की प्राचीनता सिद्ध होती है। प्रो० ए० एन० उपाध्ये ने कार्तिकेयानुप्रेक्षा की भाषा की तुलना करके उसकी भाषा को प्रवचनसार के निकट १. कार्तिकेयानुप्रेक्षा पूर्वोक्त ९।१०६-१०८ २. वही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525010
Book TitleSramana 1992 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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