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________________ ८८ श्रमण, जनवरी-मार्च १९९२ प्रति वर्ष एक टन से भी अधिक कूड़ा फेंका जाता है। रासायनिक, जैव रासायनिक एवं अन्य प्रकार के प्रदूषण का आंकलन तो और भी ज्यादा हैं । वैज्ञानिक शोध में, विशेषकर चिकित्सा एवं कीटनाशकों इत्यादि में शोध के नाम पर कितने ही अनुचित प्रयोग किये जा रहे हैं । यदि विशेष कारणवश प्राणियों पर प्रयोग किये जायें तो भी ये प्रयोग मानवीय होने चाहिये । प्राणियों के इस मूक बलिदान से मानव उपकृत हुआ है तथा उसका यह उत्तरदायित्व है कि वह अतिशीघ्र ऐसे उपाय विकसित करे जिससे उसे इस हिंसा से मुक्ति मिल सके । हिंसात्मक शोध की इस दिशा को परिवर्तित करना आवश्यक है । जिस प्रकार प्रदूषण रहित ऊर्जा के स्रोतों का विकास किया गया है । उसी प्रकार की समझ और शोध प्रणालियों को विकसित करना आवश्यक है वैज्ञानिक शोध, उत्पादन, चिकित्सा, शिक्षा आदि सभी क्षेत्रों में अहिंसा को अनिवार्य नियम बनाना आवश्यक हैं । आज यह आवश्यक हो गया है कि अहिंसा को सिद्धान्ततः प्रत्येक क्षेत्र में अनिवार्य बनाकर व्यवहार में लाना होगा। वैज्ञानिकों को उन प्रयोगों, यंत्रों एवं साधनों के विकास से अपने आप को पूर्णतया पृथक् करना होगा जिनका परिणाम हिंसा है। शस्त्रों, जैव रासायनिक विषों एवं विभिन्न उत्पादनों के प्रयोग एवं उत्पादन पर पुनर्विचार करना आवश्यक है । अहिंसा का नियम मानव के लिए वांछनीय होना चाहिये । यांत्रिक विकास के साथ जो साधन विकसित हुए हैं उनसे प्रचुर मात्रा में प्रकृति का दोहन और शोषण हो रहा है । प्रकृति के दोहन की आवश्यकता निरन्तर बढ़ती जा रही है जो अनुचित है । होना यह चाहिये कि जनसंख्या का विस्तार घटे और मानव अपनी जनसंख्या को उसी सीमा तक ही बढ़ायें जिससे प्रकृति का संतुलन न बिगड़े । प्रकृति स्वभावतः अपने संतुलन को बनाए रखने का भरसक प्रयत्न करती है परन्तु मानव उस संतुलन को निरंतर नष्ट करने का प्रयास कर रहा है । समस्या का एक और विचारणीय पहलू सामाजिक क्षेत्र में व्याप्त हिंसा का है । दूसरे शब्दों में यह समस्या सामाजिक पर्यावरण में हिंसा से संबंधित है । हिंसा साध्य या साधन किसी भी रूप में अनुचित For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.525009
Book TitleSramana 1992 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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