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________________ पर्यावरण और अहिंसा ८५ त्रिषों के रूप में जिन पदार्थों का उपयोग करता है उनमें से लगभग सभी हानिकारक हैं; समस्या का एक और पहलू मादक पदार्थों के उत्पादन और सेवन का है जो अत्यन्त घातक है । यह सामाजिक एवं मानसिक दूषण का परिचायक है । प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखना आज अति अनिवार्य हो गया है । अम्ल की वर्षा, वायु एवं जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि आज सामान्य हो गए हैं । आज रेडियोधर्मिता, स्टोन केन्सर तथा एसिड शाक जैसी विनाशकारी घटनाएं बढ़ने लगी हैं। मानव का धर्म है कि वह आने वाली पीढ़ी को स्वास्थ्य एवं संतुलित पर्यावरण दे । आने वाली पीढी के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने के लिए अभी से प्रयास आरंभ करने होंगे । महात्मा गाँधी ने कहा है कि आने वाली पीढ़ियों की चिंता न करना भी हिंसा ही है। वस्तुतः अहिंसा सर्वोच्च मानवीय मूल्यों में से एक है और मानवीय कर्मों को अहिंसक होना ही चाहिये । वस्तुतः मानवीय ज्ञान औरशक्ति को जीवन एवं प्रकृति को संरक्षित रखने एवं विकसित करने में सहायक होना चाहिए न कि शोषण एवं हिंसा के लिए प्रयुक्त होना चाहिये । आधुनिक युग में हिंसा के नये आयाम उभर रहे हैं । राजनैतिक हिंसा का ज्वार निरंतर बढ़ता जा रहा है । जितना अपव्यय शस्त्रों के निर्माण और युद्ध की विभीषिकाओं को जन्म देने में हुआ है यदि उतना ही व्यय मानव एवं प्रकृति के ऊपर किया जाता तो यह धरती स्वर्ग हो जाती । महाकवि दिनकर ने ठीक ही लिखा है 'जब काल मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है,' हिंसक होते ही मानव का विवेक लुप्त हो जाता है अर्थात् विबेक और हिंसा साथ-साथ नहीं रह सकते हैं । विवेक अहिंसा को जन्म देता है और हिंसा प्रतिहिंसा को । आर्थिक क्षेत्रों में हिंसात्मक प्रयासों से धनोपार्जन में वृद्धि हुई है । सौन्दर्य प्रसाधनों, चमड़े की वस्तुओं, तैयार भोजन के नए-नए हिंसक मार्ग अपनाए जा रहे हैं । मानव के लिए यह लज्जा की बात है कि वह अपने सुख और झूठी शान के लिए कितने ही प्राणियों की हत्या करता है । यदि वह कहता कि भोजन की पूर्ति के लिए हिंसा आवश्यक है तो इसका कारण भी स्वयं मानव ही है । क्योंकि जब हमारे पास Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525009
Book TitleSramana 1992 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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