SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उपकेशगच्छ का संक्षिप्त इतिहास देवगुप्तसूरि सिद्धसूरि कक्कसूरि शीलसुन्दर मतिशेखर [वि० सं० १५१४/ई० सन् १४५६ में धन्नारास के रचयिता] मतिशेखर' द्वारा रचित अन्य रचनायें, यथा--मयणरेहारास, बावनी, नेमिनाथसतफुलडाफागु, कुरगडु (क्रूरघट ) महर्षिरास, इलापुत्रचरित्र, नेमिगीत भी उपलब्ध होती हैं। पारामशोभाचौपाई मरु-गूर्जर भाषा में रचित यह कृति उपकेशगच्छीय हर्षसमुद्र के शिष्य वाचक विनयसमुद्र द्वारा वि० सं० तस पाटे संपइ जयवंतो गछनायक महिमा गुणवंतो ___कक्कसूरि गुरुराय ॥२७॥ सई हत्थि थापीय तिणि गुणहारा, गुणवन्त सीलसुन्दर सारा वारीय जिणि अणंगो तास सीस मतिसेहर हरसिहि पनरइ सई चउदोत्तर वरसिहि कीयो कवित अतिअंगो ॥२८॥ देसाई, मोहनलाल दलीचन्द-जैनगुर्जरकविओ-भाग १ (नवीन संस्करण, अहमदाबाद-१९८६ ई०) पृष्ठ १०७ १. देसाई, पूर्वोक्त, पृष्ठ १०७ और आगे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525007
Book TitleSramana 1991 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy