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________________ ७७ आचारांग में अनासक्ति चिंता न कर पाप कर्म में लिप्त होता जाता है। अर्थ-लोलप दूसरों के हिताहित की चिंता किये बिना चोरी-डाका जैसे दुष्कर्मों से धन प्राप्त करता है। निःसंकोच एवं निःशंक ऐसे अविवेकी एवं दुर्विचारी का धनोपार्जन ही अभीप्ट होता है, चाहे उसके लिए अनेक प्राणियों की हिंसा भी क्यों न करनी पड़े। वह सोचता है यह अजित धन मेरे पुत्रपौत्रों के भोगोपभोग के काम आयेगा परन्तु वह यह नहीं जानता कि जब उसके अतिनिकटस्थ भी उसकी रक्षा नहीं कर पाते तो यह जड़ द्रव्य कहाँ तक उसका सहायक होगा। प्रभूत धन पास होने पर भी यदि वेदनीय कर्म के उदय से असाध्य रोगों ने आ घेरा तो यह धन एवं भोगोपभोग के अन्य साधन रंचमात्र भी उसके दुःख को दूर नहीं कर सकेंगे। धनसम्पत्ति की निस्सारता का एक सारगर्भित चित्र उत्तराध्ययन के बीसवें अध्ययन में देखने को मिलता है जहाँ अनाथमुनि सम्राट क्षेणिक से कहते है कि 'हे राजन! मेरे पिता प्रभूत धनऐश्वर्य के स्वामी थे, भरापूरा परिवार था परन्तु मेरी आँखों में असह्य वेदना होने लगी तो मेरे पिता और परिवार के अथक प्रयास के बावजूद भी मेरी वेदना शांत नहीं हो सकी। पानी की तरह बहाया गया धन मुझे वेदना से त्राण नहीं दिला सका । अर्थलोभी व्यक्तियों के द्वारा संचित धन जो भोगने के पश्चात् भी लाभान्तराय एवं भोगान्तराय कर्म के क्षयोपशम से शेष रह जाता है वह संचित धन उसके आत्मीय जनों द्वारा परस्पर बाँट लिया जाता है, चोरी चला जाता है, राजा द्वारा अधिगृहीत कर लिया जाता है या घर में आग लगने से भस्म हो जाता है, इस प्रकार संचित धन का वह उपयोग नहीं कर पाता। तीर्थङ्कर देव के अनुसार ऐसे धनार्थी लोग इस संसार सागर को कभी १. अट्ठालोभी आलुम्पे सहसाकारे विणि विचित्ते. एत्थ सत्थे पुणो पुणो ___ अप्पं च खलु आउयं इह मेगेसि माणवाणं तं जहा। वही-१।२।१।६३ २. वही-१।२।१।६८ ३. तत्थ आसी पिया मज्झ पभूयधणसंचओ पढमे वये महाराय अउला मे अच्छिवेयणा अहोत्था विडलो दाहो सव्वंगेसु य पत्थिवा न य दुक्खाः विमोयन्ति एसा मज्झ अणाह्या। उत्तराध्ययन सूत्र-२०१८-२३ और भी २०१२३-३० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.525006
Book TitleSramana 1991 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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