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________________ प्रधान सम्पादक प्रो० सागरमल जैन सम्पादक डॉ० अशोक कुमार सिंह वर्ष ४२ अप्रैल-जून १९९१ सहसम्पादक डॉ० शिवप्रसाद - अंक ४-६ - प्रस्तुत अंक में १. अहं परमात्मने नमः -प्रो० कल्याणमल लोढ़ा २. प्राकृत व्याकरण : वररुचि बनाम हेमचन्द्र-अन्धानुकरण या विशिष्ट प्रदान के० आर० चन्द्र ३. वसन्तविलासकार बालचन्द्रसूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ---डा० यदुनाथ प्रसाद दुबे ४. अन्य प्रमुख भारतीय दर्शनों एवं जैन दर्शन में कर्मबन्ध का तुलनात्मक स्वरूप --कु० कमला जोशी ५. ऋग्वेद में अहिंसा के सन्दर्भ -----डा० प्रतिभा त्रिपाठी ६. जैन आगमों में वर्णित जातिगत समता -डा० इन्द्रेश चन्द्र सिंह ७. आचारांग में अनासक्ति --डा० श्रीप्रकाश पाण्डेय ८ जैन अभिलेखों की भाषाओं का स्वरूप एवं विविधताएं --डा० एस० एन० दूबे ९. महावीर निर्माण भूमि पावा -श्री भगवती प्रसाद खेतान । १०. समाधिमरण की अवधारणा की आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समीक्षा -प्रो० सागरमल जैन ११. साहित्य सत्कार १०६ वार्षिक शुल्क एक प्रति चालीस रुपये दस रुपया यह आवश्यक नहीं कि लेखक के विचारों से सम्पादक अथवा संस्थान सहमत हो। simama Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525006
Book TitleSramana 1991 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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