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________________ नाणा जैन धर्म के केन्द्र के रूप में विशेषकर यहाँ स्थित जीवन्तस्वामी की प्रतिमा के कारण विशेष रूप से प्रतिष्ठित रहा। यहां स्थित महावीर जिनालय से १०वीं शती का एक लेख प्राप्त हुआ है, जिसके आधार पर यह अनुमान किया जा सकता है कि उक्त जिनालय उक्त समय के आस-पास ही निर्मित हुआ होगा। ___ इस जिनालय में वि० सं० ११६८, वि० सं० १२०३, वि० सं० १२४०, वि० सं० १५०५, वि० सं० १५०६ और वि० सं० १६५९ के लेख भी उत्कीर्ण हैं। इन लेखों में जिनालय के जीर्णोद्धार, नवीन जिन प्रतिमाओं के निर्माण, उनकी प्रतिष्ठा एवं जिनालय को दिये गये दानादि के उल्लेख हैं। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है१ वि० सं., १०१७ जिनालय के द्वार के ऊपर दाहिनी ओर उत्कीर्ण लेख २-वि० सं० ११६८ माघ । जिनालय में शृंगारचौकी के दरवाजे के ऊपर पहले तोरण पर उत्कीर्ण लेख। वि०सं० १२०३ कात्तिक वदि १५ जिनालय की परिक्रमा में चौमुख के पास दरवाजे के बारशाख पर उत्कीर्ण लेख ४-वि० सं० १२०३ वैशाख सुदि १२ सोमवार जिनालय की परिक्रमा में रखी कायोत्सर्ग मुद्रा में शांतिनाथ की एक खंडित एवं अपूज्य प्रतिमा का लेख । ५ - वि० सं० १२०३ वैशाख सुदि १२ सोमवार जिनालय की परिक्रमा में रखी कायोत्सर्ग मुद्रा में नेमिनाथ की एक खंडित एवं अपूज्य प्रतिमा का लेख। ६ --वि० सं० १२४० फाल्गुन सुदि २ बुधवार जिनालय के गूढ़मंडप में दाहिनी ओर दीवाल के पास मूर्ति के नीचे परिकर की चरणचौकी पर उत्कीर्ण लेख । -वि० सं० १२७४ ज्येष्ठ वदि ५ मंगलवार जिनालय के गूढ़मंडप में नन्द्वीश्वरद्वीप के पद पर उत्कीर्ण लेख। -वि० सं० १४२९ माघ वदि ७ सोमवार जिनालय में रखी पार्श्वनाथ की धात पंचतीर्थी का लेख। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525003
Book TitleSramana 1990 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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