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________________ जैनविद्या 24 इस टिप्पण में गोम्मटसार ग्रन्थ से अनेक गाथाएँ उद्धृत हैं। आचार्य अमितगति के संस्कृत ‘पंच संग्रह' का भी एक श्लोक उद्धृत है जिसे आचार्य अमितगति ने वि. सं. 1073 (ई. 1016) में समाप्त किया है। अतः इसके बाद ही प्रभाचन्द्र ने उक्त विवरण लिखा है। ___5. प्रवचन-सरोज भास्कर - आचार्य कुन्दकुन्ददेव-कृत 'प्रवचनसार प्राभृत' की टीका है यह। ऐलक पन्नालाल दिगम्बर जैन सरस्वती भवन, मुम्बई में इसकी पत्रात्मक प्रति है, इसमें 53 पत्र हैं - यह संवत् 1555 की लिखी प्रति है। इस प्रति में आचार्य अमृतचन्द्र के द्वारा प्रवचनसार टीका में अव्याख्यात 36 गाथाएँ अधिक हैं। आचार्य जयसेन ने 'प्रवचनसरोज भास्कर' टीका का ही अनुकरण किया है, यद्यपि उनकी टीका में दो-तीन गाथाएँ अतिरिक्त भी हैं। इस टीका में जगह-जगह उद्धत दार्शनिक अवतरण-व्याख्या- पद्धति एवं सरल प्रसन्न शैली यह सिद्ध करने को पर्याप्त है कि यह न्याय- कुमुदचन्द्र के रचयिता प्रभाचन्द्र की कृति है। इस टीका का लक्ष्य है गाथाओं का संक्षेप में खुलासा करना, अतएव टीका में गाथाओं का केवल शब्दार्थरूप व्याख्यान है। ग्रन्थ की अवान्तर सन्धियों में तथा अन्त में यह नाम पाया जाता है। यथा - 'इति श्री प्रभाचन्द्रविरचिते प्रवचनसारसरोजभास्करे शुद्धोपयोगाधिकारः समाप्तः।' टीका अति संक्षिप्त होते हुए भी विशद है। अभी यह अप्रकाशित है। 6. पंचास्तिकाय प्रदीप - आचार्य कुन्दकुन्द-कृत पंचास्तिकाय प्राभृत पर भी आचार्य प्रभाचन्द्र ने टीका लिखी, जिसकी विशेषता ‘प्रवचनसरोज-भास्कर' जैसी है। इसकी मध्य की सन्धियों का पुष्पिका लेख इस प्रकार है - यथा - इति श्री प्रभाचन्द्रविरचिते, पंचास्तिकायप्रदीपे मोक्षमार्गनवपदार्थचूलिकाधिकारः समाप्तः।' पण्डित श्री कैलाशचन्द्रजी शास्त्री के मतानुसार आचार्य प्रभाचन्द्र ने समयसार पर भी टीका लिखी। इन टीकाओं का अभी तक प्रकाशन नहीं हुआ है। ___7. द्रव्यसंग्रह वृत्ति - ‘प्रवचनसरोज-भास्कर' एवं पंचास्तिकाय प्रदीप' की शैली में रचित 'द्रव्यसंग्रह वृत्ति' भी प्राप्त हुई है। पण्डित श्री कैलाशचन्द्रजी के मतानुसार यह आचार्य प्रभाचन्द्ररचित है। इसमें प्रत्येक गाथा का खण्डान्वय के साथ संस्कृत में
SR No.524769
Book TitleJain Vidya 24
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year2010
Total Pages122
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size8 MB
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