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________________ जैनविद्या 24 अभिभूय निजविपक्षं निखिलमतोद्योतनो गुणाम्भोधिः । सविता जयतु जिनेन्द्रः शुभप्रबन्धः प्रभाचन्द्रः ।। श्री प्रभाचन्द्र पण्डित द्वारा श्री जयसिंहदेव के राज्य में 'आराधना सत्कथा प्रबन्ध' नामक एक प्रबन्ध की रचना की गई थी जो गद्य रूप में निबद्ध है और उसकी प्रशस्ति में इसका उल्लेख प्राप्त होता है।" श्री पण्डित प्रभाचन्द्र के द्वारा विभिन्न ग्रंथों पर लिखित टिप्पण ग्रंथों की संख्या भी कुछ कम नहीं है। उनके द्वारा लिखित निम्न टिप्पण ग्रंथ उल्लेखनीय ___1. आचार्य कुन्दकुन्द (ई.पू. 8-44) के पंचास्तिकाय (पंचात्थि पाहुण) पर 'पंचास्तिकाय प्रदीप' और 'प्रवचनसार' पर 'प्रवचनसार सरोज भास्कर' टिप्पण ग्रंथ। 2. गृद्धपिच्छाचार्य उमास्वाति (40-90 ई.) के तत्वार्थाधिगम सूत्र' पर देवनन्दि पूज्यपाद की तत्वार्थवृत्ति के विषम पदों का संक्षिप्त अर्थ-सूचक टिप्पण ग्रंथ - ‘तत्वार्थवृत्ति पद'। 3. श्री समन्तभद्राचार्य (लगभग 120-185 ई.) द्वारा रचित 'रत्नकरण्ड श्रावकाचार' पर 'रत्नकरण्ड श्रावकाचार टीका'। 4. देवनन्दि पूज्यपाद द्वारा रचित समाधितन्त्र पर 'समाधितन्त्र टीका' । 5. आदिपुराण के रचनाकार जिनसेन (770-850 ई.) के शिष्य गुणभद्र द्वारा रचित आत्मानुशासन पर 'आत्मानुशासन तिलक टिप्पण'। 6. आचार्य पुष्पदन्त द्वारा रचित महापुराण (965 ई.) पर ‘महापुराण टिप्पण' । 7. पद्मनन्दि सैद्धान्तिक के ग्रंथ क्रियाकलाप पर ‘क्रियाकलाप टीका'। यहाँ यह प्रश्न स्वाभाविक है कि क्या उपर्युक्त सभी टीका-टिप्पण ग्रंथोंरचनाओं के रचयिता प्रमेयकमलमार्तण्ड के कर्ता प्रभाचन्द्र ही हैं? इस सम्बन्ध में यहाँ यह स्पष्ट किया जाना उचित होगा कि तत्वार्थवृत्ति पद और क्रियाकलाप टीका की प्रशस्तियों में टीकाकार प्रभाचन्द्र ने स्वयं को श्री पद्मनन्दि सैद्धान्तिक का शिष्य बतलाया है। अतः यह सुनिश्चित है कि इन चारों कृतियों -
SR No.524769
Book TitleJain Vidya 24
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year2010
Total Pages122
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size8 MB
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