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जैन विद्या 24
17. वही, सूत्र 3.66 (3.70)
18. प्रमेयकमलमार्त्तण्ड, भाग द्वितीय, पृ. 404, श्री लाला मुसद्दीलाल जैन चेरीटेबल ट्रस्ट, 2/4 अन्सारी रोड, दरियागंज, देहली, प्रथम संस्करण, वि.नि. सं. 2054.
19. परीक्षामुख, सूत्र 3.68 (3.72)
20. वही, सूत्र 3.69 (3.73)
21. वही, सूत्र 3.70 (3.74)
22. वही, सूत्र 3.71 (3.75)
23. वही, सूत्र 3.72 (3.76) 24. वही, सूत्र 3.73 (3.77)
25. वही, सूत्र 3.74 (3.78)
26. वही, सूत्र 3.75 (3.79) 27. वही, सूत्र 3.76 (3.80)
28. वही, सूत्र 3.77 (3.81) 29. वही, सूत्र 3.78 (3.82) 30. वही, सूत्र 3.79 ( 3.83) 31. वही, सूत्र 3.80 (3.84) 32. वही, सूत्र 3.81 (3.85 ) 33. वही, सूत्र 3.82 (3.86) 34. वही, सूत्र 3.83 (3.87)
35. वही, सूत्र 3.84 (3.88)
36. वही, सूत्र 3.85 (3.89)
37. प्रमेयकमलमार्त्तण्ड, भाग - तृतीय ( परीक्षामुख, सूत्र 5.21 की टीका ), पृ. 525, श्री लाला मुसद्दीलाल जैन चेरीटेबल ट्रस्ट, 2/4, अन्सारी रोड, दरियागंज, देहली, प्रथम
संस्करण, वि.नि. सं. 2504
38. परीक्षामुख, सूत्र 6.21.
39. वही, सूत्र 6.23.
40. वही, सूत्र 6.25-26.
41. वही, सूत्र 6.36.
42. (1) वाद के समय जो पहले अपने पक्ष को स्थापित करता है उसे 'वादी' कहते हैं । (2) इच्छा का विषयभूत पदार्थ 'इष्ट' कहलाता है।