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________________ 100 जैनविद्या 24 _ "तस्य स्वार्थानुमानस्यार्थः साध्यसाधने तत्परामर्शिवचनाजातं यत्साध्यविज्ञानं तत्परार्थानुमानम् ।"75 1.6. अनुमान का विषय ___ माणिक्यनन्दि और प्रभाचन्द्र के अनुसार अनुमान का विषय ‘साध्य' है, और व्याप्तिकाल में 'धर्म' साध्य होता है तथा प्रयोगकाल में 'धर्म विशिष्टधर्मी'. अर्थात व्याप्तिकाल में अनुमान 'धर्म' को प्रकाशित करता है और प्रयोगकाल में 'धर्म विशिष्टधर्मी' को। इन पर चर्चा ऊपर की जा चुकी है। अतः यहाँ इनकी विस्तार से चर्चा नहीं की जा रही है। 1.7. अनुमान का फल ___परीक्षामुख (5.1) के अनुसार अज्ञान की निवृत्ति, हान, उपादान, और उपेक्षा ये प्रमाण के फल हैं - अज्ञाननिवृत्तिर्हानोपादानोपेक्षाश्च फलम् । इनमें से अज्ञान की निवृत्ति प्रमाण या ज्ञान का साक्षात्फल है और हान, उपादान एवं उपेक्षा ये पारम्पर्यफल' हैं। अनुमान के सन्दर्भ में देखें तब कहा जा सकता है - ‘साध्य' अर्थात् व्याप्तिकाल में . 'धर्म' और प्रयोगकाल में 'धर्म विशिष्टधर्मी के अज्ञान की निवृत्ति होकर उसका प्रकाशित हो जाना अनुमान का साक्षात्फल है। साध्य को जान लेने के पश्चात् अनिष्ट या अहितकर साध्य का परित्याग कर देना ‘हान फल' है, इष्ट या हितकर साध्य को ग्रहण कर लेना ‘उपादान फल' है। और साध्य के हेय-उपादेय नहीं होने पर उसके प्रति उदासीन रहना 'उपेक्षा फल' है। अनुमान के इन फलों को 'स्व' और 'पर' दोनों के ही सन्दर्भ में ग्रहण करना चाहिए। 1.8. अनुमानाभास साधन के द्वारा होनेवाला साध्य का ज्ञान सदैव यथार्थ नहीं होता है, अनेकबार वह अयथार्थ भी होता है। अनुमान की यथार्थता और अयथार्थता उसके पक्ष, हेतु और अन्य अवयवों पर निर्भर करती है। यदि पक्ष, हेतु और अन्य अवयव सद् हैं तब अनुमान यथार्थ होगा और यदि वे असद् हैं तब अनुमान अयथार्थ होगा, अर्थात् अयथार्थ पक्ष या अयथार्थ हेतु अथवा अन्य अयथार्थ अवयव के द्वारा होनेवाला साधन से साध्य का ज्ञान अनुमानाभास होगा। 1. तत्त्वार्थसूत्र, सूत्र 1.10 (सर्वार्थसिद्धि में संकलित), भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, नयी दिल्ली, छठा संस्करण, 1995. 2. परीक्षामुख, सूत्र 1.1. (प्रमेयरत्नमाला में संकलित) चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, प्रथम संस्करण, 1964.
SR No.524769
Book TitleJain Vidya 24
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year2010
Total Pages122
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size8 MB
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