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________________ जैनविद्या 18 (3) अज्ञान अथवा प्रमाद से दिशा और विदिशाओं की मर्यादा का उल्लंघन करना। (4) अज्ञान अथवा प्रमाद से किसी दिशा की सीमा घटा-बढ़ा लेना। (5) पूर्व में की हुई मर्यादा को अज्ञान अथवा प्रमाद से भूल जाना। अनर्थदण्ड व्रत के अतिचारों की चर्चा निम्नांकित है। दण्ड शब्द भी पारिभाषिक है। इस शब्द का अर्थ है मन, वचन, काय की अशुभ प्रवृत्ति। (1) कन्दर्प-अर्थात् राग से हास्ययुक्त गन्दे शब्द बोलना। (2) कौत्कुच्य-अर्थात् हास्य और अश्लील वचनसहित कायिक कुचेष्टा करना। (3) मौखर्य - आवश्यकता से अधिक मुखर होना अर्थात् अधिक बोलना। (4) अतिप्रसाधन-भोगोपभोग की चीजों को आवश्यकता से अधिक रखना। (5) असमीक्ष्याधिकरण अर्थात् बिना विचारे काम करना। भोगोपभोग परिमाणव्रत के अतिचार निम्न प्रकार हैं। - (1) विषयरूप विष में आसक्त होना। (2) भोगे हुए विषयों को स्मरण करना। (3) इस भव के अर्थात् वर्तमान के विषयों को भोगने में अत्यन्त लालसा रखना। (4) पर-भव अर्थात् भविष्य के विषयभोगों की तृष्णा रखना। (5) विषय के न भोगने पर भी विषय-भोगने जैसा अनुभव करना। इस अतिचार में भोग और उपभोग दो शब्दों का प्रयोग हुआ है। जो एक बार भोगने में आए उसे भोग और जिसे बार-बार भोगने की प्रवृत्ति हो उसे उपभोग कहा गया है। अणुव्रतों और गुणव्रतों की भाँति जीवन-साधना के लिए शिक्षाव्रतों का भी विधान किया गया है। इन व्रतों में भी अतिचारों की चर्चा उल्लिखित है। इस दृष्टि से सर्वप्रथम देशावकाशिक व्रत के अतिचार निम्नांकित हैं।2(1) प्रेषण - स्वयं मर्यादा के भीतर रहते हुए किसी दूसरे को मर्यादा के बाहर अपने कार्य के लिए भेजना। (2) शब्द-स्वयं मर्यादा के भीतर रहकर बाहर काम करनेवालों को खाँसकर या अन्य किसी शब्द के द्वारा सचेत करना। (3) आनयन - मर्यादा के बाहर से किसी वस्तु को मंगाना। (4) रूपाभिव्यक्ति - मर्यादा के बाहर काम करनेवालों को अपना रूप दिखाकर सावधान करना। (5) पुद्गलक्षेप - कंकड़-पत्थर फेंककर बाहर के लोगों को इशारा करना। सामायिक के अतिचार भी पाँच प्रकार के कहे गए हैं।3(1) वाग्दु:प्रणिधान - अर्थात् शास्त्रविरुद्ध अशुद्ध पाठ करना।
SR No.524765
Book TitleJain Vidya 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1996
Total Pages118
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size8 MB
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