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________________ जैनविद्या 18 सदक्षराजराजित प्रभो दयस्व वर्द्धनः । सतां तमो हरन् जयन् महो दयापराजितः ॥16॥ - हे भगवान! आप उत्तम, अविनाशी और जरारहित हैं। हे अजितनाथ प्रभो ! आप क्षमा आदि उत्तम गुणों से मण्डित हैं। साधु पुरुषों के आज्ञानान्धकार को नष्ट करनेवाले तथा काम-क्रोधादि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करनेवाले हैं तथा निर्दोष हैं । हे दयालु देव! वह दिव्य तेज, केवलज्ञान मुझे भी प्रदान कीजिये। अभिनन्दननाथ की स्तुति - अतमः स्वनतारक्षी तमोहा वन्दनेश्वरः। महाश्रीमानजो नेता स्वव मामभिनन्दन ॥21॥ - हे अज्ञानान्धकार से दूर प्रभो ! हे अभिनन्दननाथ ! जो आपको नमस्कार करते हैं उनकी आप रक्षा करते हैं। आप मोह से रहित हैं, वन्दना के ईश्वर हैं, सब के वन्द्य हैं, अनन्त चतुष्टय तथा अष्ट प्रतिहार्य से युक्त हैं, अज हैं अर्थात् भावी भव से रहित हैं। मोक्षमार्ग के नेता हैं, उपदेशक हैं, अतः स्वामी समन्तभद्र कहते हैं कि मेरी भी रक्षा कीजिये, मुझे सांसारिक दुःखों से बचाइये। एकाक्षर चक्रश्लोक नन्दनश्रीर्जिन त्वा न नत्वा नर्द्धया स्वनन्दिन। नन्दिनस्ते विनन्ता न नन्तानन्तोभिनन्दन ॥23॥ - हे अभिनन्दन जिन ! आप अनन्त चतुष्टयरूप समृद्धि से सुशोभित हैं। जो समृद्धिशाली पुरुष प्रसन्नचित्त होकर आपकी विभूति के साथ आपकी पूजा करता है वह अवश्य ही अनन्त हो जाता है। अर्थात् जन्म-मरण से रहित हो जाता है। समुद्गक यमक - देहिनो जयिनः श्रेयः सदातः सुमते हितः । देहि नोजयिनः श्रेयः स दातः सुमतेहितः ॥25॥ - हे सुमति जिनेन्द्र ! आप कर्मरूप शत्रुओं को जीतनेवाले प्राणियों के उपासनीय हैं। जो प्राणी अपने कर्मरूपी शत्रुओं को जीतना चाहते हैं वे अवश्य ही आपकी उपासना करते हैं, आप सदा उनका हित करनेवाले हैं आपके द्वारा प्ररूपित आगम उत्तम हैं। आप अज हैं, जन्म-मरण की व्यथा से रहित हैं, सबके स्वामी हैं। हे दानशील, मुझको भी मोक्ष प्रदान कीजिये। चक्रश्लोक-दो अक्षरों से निर्मित विमलनाथ स्तुति - नेतानतनुते नेनोनितान्तं नाततो नुतात् ।। नेता न तनुते नेनो नितान्तं ना ततो नुतात् ॥52॥ - हे पापरहित विमलनाथ जिनेन्द्र! आप शरण में आये हुए संसारी जीवों को बिना किसी क्लेश के
SR No.524765
Book TitleJain Vidya 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1996
Total Pages118
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size8 MB
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