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जैनविद्या 14-1
क्रम. सं.
गुणस्थान का अन्वेषण स्थान/ मार्गणास्थान में पाये जानेवाले हेतु अथवा मार्गणास्थान गुणस्थान 1. नरकगति
मिथ्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि और
असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थान। (1-4) 2. तिर्यंचगति
मिथ्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि, असंयतसम्यग्दृष्टि
और संयतासंयत गुणस्थान। (1-5) 3. मनुष्यगति
सभी चौदह गुणस्थान। (1-14) 4. देवगति
मिथ्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थान। (1-4)
1. गतिमार्गणा
1. स्पर्शन
2. रसना 2. इन्द्रियमार्गणा 3. घ्राण
4. चक्षु 5. श्रोत्र
मिथ्यादृष्टि गुणस्थान। मिथ्यादृष्टि गुणस्थान। मिथ्यादृष्टि गुणस्थान। मिथ्यादृष्टि गुणस्थान। असंज्ञी जीवों के मिथ्यादृष्टि गुणस्थान
और संज्ञी जीवों के सभी चौदह गुणस्थान (1-14)
3. कायमार्गणा
1. पृथ्वीकाय 2. जलकाय 3. अग्निकाय 4. वायुकाय 5. वनस्पतिकाय 6. त्रसकाय
मिथ्यादृष्टि गुणस्थान। मिथ्यादृष्टि गुणस्थान। मिथ्यादृष्टि गुणस्थान। मिथ्यादृष्टि गुणस्थान। मिथ्यादृष्टि गुणस्थान। मिथ्यादृष्टि से अयोगिकेवली गुणस्थान। (1-14)
4. योगमार्गणा
1. मनोयोग 2. वचनयोग 3. काययोग
मिथ्यादृष्टि से सयोगिकेवली गुणस्थान। मिथ्यादृष्टि से सयोगिकेवली गुणस्थान। मिथ्यादृष्टि से सयोगिकेवली गुणस्थान। (1-13)