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वीरसेन, जिनसेन द्वितीय, विद्यानन्द, देवसेन, अमितगति प्रथम, अमितगति द्वितीय, अमृतचन्द्रसूरि, नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती आदि की गणना की जाती है ।
प्रस्तुत अंक के विभिन्न लेखों के अध्ययन व अवलोकन से यह स्पष्ट हो जाता है कि सम्बन्धित सभी लेखक/विद्वानों की लेखनी में काफी बल है और उन्होंने आचार्य अमितगति द्वितीय के व्यक्तित्व व कृतित्व के भिन्न-भिन्न बिन्दुओं पर अकथनीय परिश्रम कर अच्छा प्रकाश डाला है जो सब मिलकर उन प्राचार्यों के बारे में एक संग्रहणीय इतिहास-परिचय बन जाता है । अतः इन सभी रचनाकारों-लेखकों के प्रति उनके अमूल्य सहयोग के लिए हम अत्यन्त आभारी हैं एवं आशा करते हैं कि भविष्य में भी इसी प्रकार हमें उनका सहयोग प्राप्त होता रहेगा।
इस अंक के सम्पादन व प्रकाशन में सहयोगी कार्यकर्ता धन्यवादाह हैं। मुद्रण हेतु मदरलैण्ड प्रिंटिंग प्रेस के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित है।
डॉ. गोपीचन्द पाटनी
सम्पादक
ज्ञानचन्द्र खिन्दूका
सम्पादक