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जनविद्या-13 ]
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लाभकर सिद्ध हो सकता है। चाहते हुए भी स्थानाभाव से हम अभी उनका संकेत तथा परिचय देने में असमर्थ हैं।
अनुवाद करने की प्रेरणा मुझे आदरणीय श्री ज्ञानचन्द्र जी खिन्दूका, पूर्व संयोजक, जनविद्या संस्थान तथा माननीय डॉ. कमलचन्द जी सोगाणी, संयोजक, जनविद्या संस्थान से प्राप्त हुई, एतदर्थ मैं इनका आभारी हूँ।
निवेदक भंवरलाल पोल्याका