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________________ ४ ॥ जनविद्या-12 की तिथि 604 ईस्वी मानते हुए और यह मानकर कि वज्रनन्दि नन्दिसंघ के प्राचार्य पट्ट पर 22 वर्ष रहे थे और यह कि प्राचार्य देवनन्दि पूज्यपाद तथा प्राचार्य वज्रनन्दि के प्राचार्यत्व काल के मध्य 58 वर्ष का अन्तराल रहा था। प्राचार्य देवनन्दि पूज्यपाद के समय की निचली सीमा 604-22=582-58=524 ईस्वी बैठती है । पट्टावलियों में देवनन्दि पूज्यपाद का आचार्यत्व काल 50 वर्ष का बताया गया है । डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन ने यह मानते हुए कि प्राचार्यपद ग्रहण करने के पूर्व देवनन्दि कदाचित् लगभग 10 वर्ष मुनि रहे होंगे उनका समय लगभग 464-524 ई. निर्धारित किया है । इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आचार्य देवनन्दि पूज्यपाद तलकाड (दक्षिण कर्णाटक) के गंगवंशीय सम्राट् दुविनीत के गुरु रहे थे डाक्टर साहब ने उक्त गंग सम्राट् के समय के साथ आचार्य देवनन्दि के समय का समीकरण किया है। उक्त सम्राट के समय सम्बन्ध में विभिन्न इतिहासकारों के मतों और तत्कालीन अन्य विभिन्न राजवंशों के सम्बन्ध में उपलब्ध साक्ष्यों का परीक्षण करने पर वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि गंग सम्राट् दुविनीत 482-522 ईस्वी में रहे होंगे। गंग सम्राट दुविनीत 'किरातार्जुनीयम्' के रचयिता महाकवि भारवि (465555 ई.) के मित्र रहे बताये जाते हैं और कहा जाता है कि सम्राट ने उक्त काव्य के किसी अंश पर टीका भी रची थी। __ आचार्य देवनन्दि पूज्यपाद का समय निर्धारण अनेक जैन और जनेतर विद्वानों के समय निर्धारण तथा गंगों, चालुक्यों, कदम्बों, पल्लवों, पुन्नाटों आदि तत्कालीन दक्षिण भारतीय राजवंशों की वंशावलियों के कालक्रम का सही संरचना की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है । ज्योति निकुंज, चारबाग लखनऊ (उ. प्र.) 121190 टिप्पणी-आचार्य देवनन्दि पूज्यपाद के विषय में विशद जानकारी हेतु इतिहासमनीषी विद्यावारिधि स्व. डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन की 'जैना सोर्सेज ऑफ एन्शियेन्ट इण्डिया' का परिच्छेद पाठ तथा डॉक्टर साहब के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित तत्सम्बन्धी शोधपूर्ण लेख द्रष्टव्य हैं ।
SR No.524760
Book TitleJain Vidya 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1991
Total Pages114
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size10 MB
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