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________________ जनविद्या 99 (राज+ङसि) = (राइ+ णो) = राइणो (पंचमी एकवचन) (राज+ ङस्) = (राइ+ णो) = राइणो (षष्ठी एकवचन) सूत्र 3/55 (आजस्य टा-ङसि-डस्सु सणाणोष्वण्) से राज में निहित आज के स्थान पर अण् हो जाता है । :. (राज+ ङसि) = (राज+णो) = (रण्+णो) = रण्णो __ (पंचमी एकवचन) (राज+डस्) = (राज + णो) = (रण + णो) = रण्णो (षष्ठी एकवचन) राज→ राय-(राय+जस्) = (राय+ णो) सूत्र 3/12 का प्रयोग करने पर (राया-+ णो) = रायाणो (3/12) (प्रथमा बहुवचन) (राय+ शस्) = (राय+णो) = (सया+णो) = रायाणो (3|12) (द्वितीया बहुवचन) (राय + ङसि) = (राय + णो) = (राया + णो) = रायाणो (3/12) (पंचमी एकवचन) (राय + ङस्) = (राय + णो) = रायणो (षष्ठी एकवचन) (राय+ जस्) = (राय+०) = (राया+०)+राया 3/12, 3/4 (राय+शस्) = (राय+०) = (राया+0) = राया 3/12, 3/4 43. टोणा 3/51 टोणा [(ट:) + (णा)] ट: (टा) 6/1 णा (णा) 1/1 (प्राकृत में) राज→ राम→ राय से परे टा के स्थान पर णा (विकल्प से) (होता है) राज→ राम→ राय से परे टा (तृतीया एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर णा विकल्प से होता है। राज→ राम→ राय- (राज+टा) = (राइ+ णा) = राइणा (तृतीया एकवचन) (यहाँ 'ज' का 'इ' हुअा है 3/52) (राज+टा) = (रण्+णा) = रण्णा (तृतीया एकवचन) (यहाँ राज के प्राज का प्रण हुआ है 3/55) 44. इर्जस्य णो-णा-डौ 3/52 इर्जस्य णो-णा-डौ [(इ:) + (जस्य)] इः (इ) 1/1 जस्य (ज) 6/1 [(णो)-(णा)-(ङि) 7/1] (प्राकृत में) राज→ राअ→ राय से परे णो, णा और ङि होने पर ज के स्थान पर इ (विकल्प से) हो जाता है।
SR No.524758
Book TitleJain Vidya 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1988
Total Pages132
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size12 MB
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