________________
जैनविद्या
3. जैन साहित्य का वृहद् इतिहास, भाग 6, डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी, पार्श्वनाथ विद्याश्रम ____ शोध संस्थान वाराणसी 1973, पृष्ठ 160। 4. "करकण्डू कलिंगेसु पंचालेसु य दुम्मुहो । नमी राया विदेहेसु गन्धारेसु य नग्गाई ॥"
-उत्तराध्ययन सूत्र, अनुवाद-मुनि नथमल, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा,
कलकत्ता 1967, पृष्ठ 231 । 5. ज. सा. का वृ. इति., भाग 6, पृष्ठ 160। 6. निदानकथा, अनुवाद-डॉ. महेश तिवारी, चौखम्भा संस्कृत सीरीज, वाराणसी, 1970,
भूमिका पृष्ठ 69। 7. अभिधर्मदेशना, डॉ. धर्मचन्द्र जैन, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र 1982,
पृष्ठ 289 । 8. निदानकथा, भूमिका पृष्ठ 60। . . 9. करकंडचरिउ, सम्पादन-डॉ० हीरालाल जैन, भारतीय ज्ञानपीठ, 1944, भूमिका
पृष्ठ 171 10. ज. सा. का वृ. इ., भाग 6, चौधरी, पृष्ठ 161 । । 11. वही, पृष्ठ 161। 12. पार्श्वनाथ चरित का समीक्षात्मक अध्ययन, डॉ. जयकुमार जैन, जैनधर्म प्रचार समिति,
1987, पृष्ठ 161। 13. जिनरत्नकोश, पूना, 1944, पृष्ठ 263 । 14. ज. सा. का वृ. इति., भाग 6, चौधरी, पृष्ठ 464 । 15-19 जिनरत्नकोष, पृष्ठ 263 । 20. वही, प्रस्तावना, पृष्ठ 11-12, 162 । 21. रइधू साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन, डॉ० राजाराम जैन, बिहार सरकार,
पटना, 1974, पृष्ठ 49-50 । 22. हिन्दी जैन भक्तिकाव्य और कवि, डॉ. प्रेमसागर जैन, भारतीय ज्ञानपीठ, 1964,
पृष्ठ 77। 23. जैन साहित्य और इतिहास, पं. नाथूराम प्रेमी, बम्बई, पृष्ठ 531 । 24. ती. म. और उ. प्रा. परम्परा, भाग 3. पृष्ठ 531। .. 25. भट्टारकीय ग्रन्थ भंडार नागौर ग्रन्थसूची, डॉ० पी. सी. जैन, जयपुर 1985, भाग 3,
पृष्ठ 1241 26. वही, पृष्ठ 3661 27. हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि, पृष्ठ 60 (पादटिप्पण) । 28. जिनरत्नकोश, पृष्ठ 671