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करकंडुचरित विषयक जैनसाहित्य
—डॉ० कपूरचन्द जैन
- डॉ० (श्रीमती) ज्योति जैन
करकंडु महाराज का चरित्र श्रमणधारा की जैन और बौद्ध दोनों तथा जैन परम्परा की दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों परम्परात्रों में समादृत है । बौद्ध तथा श्वेताम्बर साहित्य में करकंड प्रत्येकबुद्ध के रूप में वरिंगत है तो दिगम्बर साहित्य में मुक्तिवधु का वरण करनेवाले एक विशेष व्यक्ति के रूप में चित्रित है ।
बौद्ध और श्वेताम्बर साहित्य में प्रत्येकबुद्धों का चरित्र विशदता से चित्रित हुआ है । दिगम्बर साहित्य में प्रत्येकबुद्ध का लक्षण तो प्राप्त होता है किन्तु किसी प्रत्येकबुद्ध का नाम या चरित संभवतः प्राप्त नहीं होता । तिलोयपण्णत्ति में प्रत्येकबुद्धि ऋद्धि की परिभाषा दी गयी है जिसके अनुसार जिस ऋद्धि के द्वारा गुरूपदेश के बिना ही कर्मों के उपशम से सम्यक् ज्ञान और तप के विषय में प्रगति होती है वह प्रत्येकबुद्धि ऋद्धि कहलाती है ।
सर्वार्थसिद्धि में प्रत्येकबुद्ध का स्वरूप बताते हुए कहा गया है कि अपने शक्तिरूप निमित्त से होनेवाले ज्ञान के भेद से प्रत्येकबुद्ध होते हैं । 'स्वशक्तिपरोपदेशनिमित्तज्ञान मेदात् प्रत्येकबुद्ध बोधितविकल्पाः | २
श्वेताम्बर साहित्य के अनुसार प्रत्येकबुद्ध वे कहलाते हैं जो गृहस्थी में रहते हुए किसी एक निमित्त से बोधि प्राप्त कर ले और अपने श्राप दीक्षित हो, बिना उपदेश किये ही